सोने में निवेश का सुनहरा मौका! एक्सपर्ट्स बोले-अबकी बार गोल्ड देगा बड़ा रिटर्न
TV9 Bharatvarsh July 10, 2025 01:42 PM

सोने की कीमतों में बुधवार को भारी गिरावट देखने को मिली, जो पिछले एक हफ्ते में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई. अमेरिकी डॉलर की मजबूती और ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी ने सोने पर दबाव बनाया. इसके साथ ही पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से टैरिफ की नई धमकियों ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी. भारत में भी रुपये की मजबूती ने सोने की कीमतों को और नीचे खींचा. बाजार अब अमेरिका से आने वाले आर्थिक आंकड़ों का इंतजार कर रहा है, जो सोने की कीमतों की दिशा तय कर सकता है.

सोने में क्यों आई गिरावट?

सुबह 06:24 GMT पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड 0.4% की गिरावट के साथ 3,286.96 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जो 30 जून के बाद का सबसे निचला स्तर है. अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स भी 0.7% नीचे 3,295 डॉलर पर थे. भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अगस्त 5 की गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट 0.30% की गिरावट के साथ ₹96,178 प्रति 10 ग्राम पर थी.

इस गिरावट की बड़ी वजह अमेरिकी डॉलर में उछाल और 10 साल की अमेरिकी ट्रेजरी नोट्स की यील्ड में बढ़ोतरी रही. डॉलर दो हफ्ते के उच्च स्तर पर पहुंचा, जबकि ट्रेजरी यील्ड तीन हफ्ते के पीक के करीब थी. इसके अलावा, डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ वाली बयानबाजी ने बाजार में घबराहट बढ़ाई. ट्रंप ने आयातित कॉपर पर 50% टैरिफ लगाने की बात कही, साथ ही सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों पर भी टैरिफ की धमकी दी. मंगलवार को उन्होंने BRICS देशों से आयात पर 10% टैरिफ लगाने की बात दोहराई और जापान, दक्षिण कोरिया समेत 14 देशों को 1 अगस्त से टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी दी.

आमतौर पर ऐसी भू-राजनीतिक और व्यापारिक उथल-पुथल में सोना एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन इस बार बाजार का रुझान डॉलर और अमेरिकी ट्रेजरी की ओर गया, जिससे सोने की चमक फीकी पड़ी.

रुपये की मजबूती ने बढ़ाया दबाव

भारत में सोने की कीमतों पर रुपये की मजबूती का भी असर पड़ा. LKP सिक्योरिटीज के वीपी रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी के मुताबिक, रुपये में 0.23% की मजबूती ने स्थानीय बाजार में सोने की कीमतों पर अतिरिक्त दबाव डाला. त्रिवेदी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 3,330-3,350 डॉलर के स्तर पर रजिस्टेंस का सामना कर रहा है, जबकि 3,290 डॉलर पर सपोर्ट है. भारतीय रुपये में यह रजिस्टेंस ₹97,500 और सपोर्ट ₹95,500 पर है.

उन्होंने कहा, अमेरिका के व्यापारिक फैसलों और टैरिफ से जुड़ी खबरों के आधार पर सोने की कीमतों में रेंज-बाउंड ट्रेंड टूट सकता है. बाजार अब अमेरिका के नॉन-फार्म पेरोल और बेरोजगारी के आंकड़ों का इंतजार कर रहा है, जो आज देर रात जारी होंगे. ये आंकड़े अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति पर असर डाल सकते हैं और सोने की कीमतों की दिशा तय करेंगे. त्रिवेदी का अनुमान है कि निकट भविष्य में सोने की कीमतें ₹95,500 से ₹98,500 के बीच रहेंगी.

विशेषज्ञों का बुलिश नजरिया

हाल की गिरावट के बावजूद, विशेषज्ञ सोने के मध्यम अवधि के रुझान को लेकर सकारात्मक हैं. PL कैपिटल के सीईओ और रिटेल ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन के डायरेक्टर संदीप रायचुरा ने बताया कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक हर साल 1,000 टन से ज्यादा सोना खरीद रहे हैं और यह ट्रेंड जल्द बदलने वाला नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में महंगाई अभी भी फेडरल रिजर्व के कंफर्ट जोन से ऊपर है, जो सोने की कीमतों के लिए सकारात्मक है.

रायचुरा ने कहा, हाल ही में युद्धविराम की खबरों और मजबूत अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों के बाद सोने की कीमतों में मामूली गिरावट आई है. लेकिन इसके बुनियादी कारक अभी भी मजबूत हैं. मध्यम अवधि में हम सोने को 3,150-3,500 डॉलर के दायरे में देख रहे हैं और लंबी अवधि में यह 3,700 डॉलर को पार कर सकता है.

क्या है निवेशकों के लिए मौका?

विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा गिरावट निवेशकों के लिए खरीदारी का अच्छा मौका हो सकता है. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी, लगातार महंगाई और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं सोने की मांग को सपोर्ट कर रही हैं. हालांकि, निवेशकों को अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों और वैश्विक व्यापार तनाव पर नजर रखनी होगी.

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