भारत को इस्लामिक देश बनाने का ख्वाब देखने वाले छांगुर बाबा का तिलिस्म कैसे टूटा, फकीर से अरबपति बनने की कहानी
Webdunia Hindi July 10, 2025 07:42 PM


Story of Changur Baba: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एक ऐसी सनसनीखेज घटना सामने आई है, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया, बल्कि पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, जो खुद को 'हाजी पीर जलालुद्दीन' और 'सूफी बासफा हजरत बाबा' के रूप में प्रचारित करता था, एक बड़े अवैध धर्मांतरण नेटवर्क का मास्टरमाइंड निकला। उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (UP ATS) ने इस रैकेट का पर्दाफाश करते हुए छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई ने छांगुर बाबा के उस तिलिस्म को तोड़ दिया, जिसके जरिए वह कथित तौर पर भारत को इस्लामिक देश बनाने का ख्वाब देख रहा था। आइए, इस पूरे मामले की गहराई में उतरकर समझते हैं कि कैसे यह शातिर नेटवर्क को संचालित कर रहा था और कैसे इसकी परतें खुलीं।

फकीर से अरबपति तक : जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। बलरामपुर के उतरौला तहसील के रेहरा माफी गांव के फकीरी टोला में जन्मा छांगुर कभी सड़कों पर भीख मांगकर गुजारा करता था। लेकिन कुछ ही वर्षों में उसने न केवल अकूत संपत्ति अर्जित की, बल्कि एक संगठित अपराध नेटवर्क की नींव भी रख दी। उसकी आलीशान कोठी, शोरूम और लक्जरी गाड़ियां इस बात का सबूत थीं कि वह साधारण फकीर नहीं, बल्कि एक शातिर अपराधी था।

छांगुर ने बलरामपुर के मधपुर गांव में तीन बीघा जमीन पर एक भव्य कोठी बनवाई, जिसकी कीमत करीब तीन करोड़ रुपए थी। इस कोठी में विदेशी सामान, जैसे दुबई से मंगाए गए स्पेनिश तेल, इत्र और अन्य लग्जरी उत्पाद मौजूद थे। कोठी की ऊंची दीवारों पर बिजली के तार और सीसीटीवी कैमरे इसकी सुरक्षा के लिए लगाए गए थे, जो उसके काले कारनामों को छिपाने का एक हिस्सा थे। इसके अलावा, उतरौला में उसका एक कपड़े का शोरूम और ब्यूटीशियन सेंटर भी था, जिसे नवीन रोहरा के नाम पर खरीदा गया था।

धर्मांतरण का काला खेल : छांगुर बाबा का असली खेल था अवैध रूप से धर्मांतरण। यूपी ATS की जांच में पता चला कि उसने करीब डेढ़ हजार महिलाओं और लड़कियों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। उसका निशाना खास तौर पर गरीब और असहाय हिंदू परिवारों की लड़कियां थीं। वह चमत्कार, बीमारी के इलाज और आर्थिक मदद का लालच देकर इनका ब्रेनवॉश करता था।

छांगुर और उसका गिरोह विभिन्न जातियों की लड़कियों के लिए धर्मांतरण की दरें तय करता था। ब्राह्मण, क्षत्रिय, या सरदार लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपए, पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए 10-12 लाख और अन्य जातियों की लड़कियों के लिए 8-10 लाख रुपए की राशि तय थी। यह रैकेट इतना संगठित था कि इसके तार खाड़ी देशों तक जुड़े थे, जहां से 100 करोड़ रुपए से अधिक की विदेशी फंडिंग आती थी।

छांगुर की सहयोगी नीतू रोहरा उर्फ नसरीन इस नेटवर्क की एक अहम कड़ी थी। वह गरीब हिंदू लड़कियों से दोस्ती करती, उनकी समस्याओं का पता लगाती और फिर छांगुर बाबा के चमत्कारों का झांसा देकर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए उकसाती। एक उदाहरण में, गुंजा गुप्ता नाम की एक लड़की को नीतू और नवीन (जो बाद में जमालुद्दीन बन गया) ने ब्रेनवॉश करके उसका नाम अलीना अंसारी रखवाया।

विदेशी फंडिंग और हवाला का जाल : यूपी ATS की जांच में यह भी खुलासा हुआ कि छांगुर बाबा और उसके गिरोह ने 40 से 50 बार इस्लामिक देशों की यात्राएं की थीं। उनके पास 40 से अधिक बैंक खाते थे, जिनमें 100 करोड़ रुए से ज्यादा का लेन-देन हुआ। यह राशि कथित तौर पर खाड़ी देशों से हवाला और अन्य अवैध माध्यमों से आती थी। इन पैसों का इस्तेमाल आलीशान कोठी, शोरूम और लक्जरी गाड़ियां खरीदने में किया गया।

छांगुर का गिरोह गरीबों और असहायों को निशाना बनाता था। जो लोग धर्म परिवर्तन के लिए तैयार नहीं होते, उन्हें मुकदमों में फंसाने की धमकी दी जाती थी। इस नेटवर्क के तार पूरे भारत में फैले थे और यूपी ATS का मानना है कि यह रैकेट राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा था।

यूपी ATS की कार्रवाई और बुलडोजर एक्शन : 5 जुलाई 2025 को यूपी ATS ने छांगुर बाबा और नीतू उर्फ नसरीन को लखनऊ के एक होटल से गिरफ्तार किया। इसके बाद जांच में कई सनसनीखेज खुलासे हुए। छांगुर ने अपने अपराध स्वीकार कर लिए, लेकिन स्थानीय ग्रामीण अभी भी उसे 'मसीहा' मानते हैं, जिससे जांच में कुछ चुनौतियां सामने आईं।

8 और 9 जुलाई 2025 को प्रशासन ने बलरामपुर में छांगुर की आलीशान कोठी पर बुलडोजर चलाया, जिसे अवैध रूप से बनाया गया था। इस कोठी में उर्दू में पैक किए गए उत्पाद, विदेशी डिटर्जेंट और धार्मिक किताबें मिलीं, जो धर्मांतरण के शक को और पुख्ता करती थीं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी छांगुर और उसके गिरोह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया, ताकि विदेशी फंडिंग की परतें खोली जा सकें।

छांगुर का तिलिस्म टूटने की कहानी : छांगुर बाबा का तिलिस्म टूटने की शुरुआत तब हुई, जब बलरामपुर के स्थानीय लोगों ने उसके संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत की। विदेशी फंडिंग, आलीशान संपत्तियों, और धर्मांतरण की खबरों ने यूपी ATS को अलर्ट किया। जांच में पता चला कि छांगुर का नेटवर्क भारत-नेपाल सीमा पर 'दावा केंद्र' बनाने की योजना पर काम कर रहा था।

एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर) अमिताभ यश ने बताया कि छांगुर बाबा और उसके गिरोह के अन्य सदस्य, जैसे महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, और आमीन रिजवी संगठित तरीके से काम करते थे। इनके खिलाफ 2023 में आजमगढ़ के देवगांव थाने में भी एक FIR दर्ज की गई थी।

छांगुर बाबा का यह मामला केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। यूपी ATS और अन्य खुफिया एजेंसियां इस नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय संपर्कों की जांच कर रही हैं। यह मामला भारत में अवैध धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग के खतरों को उजागर करता है। स्थानीय लोगों का एक वर्ग अभी भी छांगुर को 'रूहानी बाबा' मानता है, जो जांच को और जटिल बनाता है।

छांगुर बाबा का तिलिस्म, जो चमत्कार और धर्म के नाम पर बुना गया था, यूपी ATS की सतर्कता और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से टूट गया। सरकार और जांच एजेंसियां अब इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी हैं, ताकि इस तरह के अपराधों को पूरी तरह खत्म किया जा सके। यह कहानी न केवल एक अपराधी के पतन की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कानून और सच्चाई के सामने कोई तिलिस्म टिक नहीं सकता।

Edited by: Vrijendra Singh Jhala

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