–गुरू ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश एवं परमब्रह्म है : शंकराचार्य वासुदेवानंद
प्रयागराज, 10 जुलाई (Udaipur Kiran) । जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने आज भगवान आदिशंकराचार्य चौक पर स्थित भगवान शंकराचार्य को माला फूल चढ़ाकर उनकी भव्य दिव्य पूजा आरती किया और उपस्थित भक्तों को लड्डू प्रसाद वितरित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय सनातन धर्म संस्कृति में गुरू का बड़ा महत्व है। गुरू दर्शनीय, गुरू पूजनीय है। गुरू ही ब्रह्मा, विष्णु, भगवान शंकर है और परमब्रह्म भी है।
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि गुरू प्राणि मात्र को ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित करता है। उन्होंने बताया कि भगवान आदिशंकराचार्य ने वेदों व सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु पुरी में गोवर्धनमठ, ब्रदीनाथ में ज्योतिर्मठ, द्वारिका में शारदामठ और तुंगभद्रा में श्रृंगेरीमठ आदि चार मठों-पीठों की स्थापना किया। भगवान आदि शंकराचार्य ने इन चार पीठों के लिए अपने एक-एक प्रमुख शिष्य को पीठों का अलग-अलग आचार्य पीठाधीश्वर बनाया। उन शिष्यों में एक शिष्य का नाम पद्मपाद, दूसरे शिष्य का नाम हस्मतलक, तीसरे शिष्य का नाम सुरेश्वर और चौथे शिष्य का नाम त्रोटक था।
शंकराचार्य ने बताया कि समय की निरन्तता में सन 1941 में स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य हुए। जिन्होंने जगद्गुरू शंकराचार्य के नाम पद पर स्वामी शान्तानंद सरस्वती को नामित किया। शान्तानंद के बाद विष्णु देवानंद और उन्होंने मुझे (वासुदेवानंद को) जगद्गुरू शंकराचार्य नामित किया और तब से मैं श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य के नाम पद पर वेदशास्त्रों के माध्यम से सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहा हूँ।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में नवनिर्मित श्रीरामलला मंदिर में हजारों भक्तों ने जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती का आरती पूजन एवं गुरू पादुका पूजन किया। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर लगभग 100 श्रद्धालुओं ने दीक्षा भी लिया। पूजा कार्यक्रम में दंडी स्वामी विनोदानंद, दंडी स्वामी विश्वदेवानंद, दंडी स्वामी जितेन्द्रानंद, श्रीमज्ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य पं0 शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य मनीष, उमेश मिश्रा और व्यास ओम नारायण तिवारी आदि सैकड़ों भक्तों ने पूजा आरती में सम्मिलित होकर प्रसाद लिया।
ज्योतिष्पीठ प्रवक्ता ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया कि शुक्रवार को प्रातः 9 बजे से जगद्गुरू शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती के दर्शन कक्ष में रूद्राभिषेक कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम में प्रमुख लोगों में दंडी स्वामी शंकरानंद महाराज, दंडी स्वामी विनोदानंद सरस्वती, दण्डी सन्यासी विश्वदेवानंद सरस्वती, पं0 शिवार्चन उपाध्याय, पूर्व प्रधानाचार्य श्रीमज्ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय, व्यास श्यामसुन्दर ‘वृंदावन नंदगाँव वाले’, व्यास नंदन गोस्वामी, आचार्य मनीष तिवारी, उमेश, पं0 एस0पी0 त्रिपाठी, ब्रह्मचारी जितेन्द्रानंद, अशोक कनकने राजस्थान और सचिन मोरकरनी आदि हजारों भक्त उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र