भगवान शिव को अत्यंत प्रिय सावन का पावन महीना, हर भक्त के लिए अपने आराध्य को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने का विशेष अवसर होता है। इस पूरे माह में महादेव की पूजा-अर्चना और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मान्यता है कि सच्चे मन से किया गया दान पुण्य फलदायी होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन के दौरान कुछ ऐसी भी वस्तुएं होती हैं जिनका दान करने से बचना चाहिए?
ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी चीजों का दान करने से भगवान शिव अप्रसन्न हो सकते हैं और आपको नकारात्मकता तथा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।सबसे पहले बात करें पुराने, फटे या जीर्ण-शीर्ण कपड़ों की। दान हमेशा अच्छी और साफ-सुथरी वस्तुओं का होना चाहिए। यदि आप ऐसे कपड़े दान करते हैं, जो पहनने लायक न हों या काफी खराब हालत में हों, तो इससे घर में दुर्भाग्य और दरिद्रता आ सकती है।
दान की गई वस्तु की स्थिति स्वयं दाता की ऊर्जा को भी प्रभावित करती है, इसलिए दान में कभी भी टूटी-फूटी या जीर्ण वस्तुएँ न दें।इसके बाद आता है लोहे का सामान। सावन माह में लोहे से बनी किसी भी चीज का दान करना शुभ नहीं माना जाता। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोहा शनि ग्रह से संबंधित है। सावन भगवान शिव का महीना है और इस दौरान लोहे का दान करने से शनिदेव के साथ-साथ महादेव भी रुष्ट हो सकते हैं। यह आपके जीवन में अनावश्यक बाधाएं और चुनौतियाँ ला सकता है।
वहीं, प्लास्टिक या टूटा हुआ सामान दान करने से भी बचना चाहिए। प्लास्टिक से बनी चीजें कभी-कभी नकारात्मक ऊर्जा और अशुद्धि का प्रतीक मानी जाती हैं, और दान में कभी भी टूटी-फूटी या बेकार की वस्तुएँ नहीं देनी चाहिए। ऐसी वस्तुओं का दान करने से आपके घर में वास्तु दोष बढ़ सकता है और नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है, जिससे धन हानि या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।नुकीली चीजें जैसे कि कैंची या चाकू भी दान नहीं करनी चाहिए। इन्हें दान करने से आपके संबंधों में खटास आ सकती है और परिवार के सदस्यों के बीच कलह बढ़ सकती है। ऐसी वस्तुएं नकारात्मकता को बढ़ाती हैं और गृह क्लेश का कारण बन सकती हैं।
दान में हमेशा ऐसी वस्तुएं देनी चाहिए जो दूसरों के लिए उपयोगी हों और साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हों।इसके अतिरिक्त, शिवलिंग पर अभिषेक करने के बाद जो नारियल का जल या कोई भी अर्पित किया गया जल बचा हुआ होता है, उसे स्वयं कभी भी नहीं पीना चाहिए। शिवलिंग पर अर्पित किया गया जल केवल महादेव का प्रसाद होता है और इसे स्वयं ग्रहण करना भगवान का अपमान माना जाता है। ऐसे जल को किसी पवित्र पौधे, जैसे कि तुलसी या बेल के पौधे में डाल देना चाहिए या किसी अन्य स्वच्छ स्थान पर विसर्जित कर देना चाहिए।
यह भी समझना महत्वपूर्ण है कि सावन का माह भक्ति, सादगी और समर्पण का समय है, न कि व्यर्थ के दिखावे का। इस दौरान अनावश्यक वस्तुओं पर अधिक धन खर्च करने या फिजूलखर्ची से भी बचना चाहिए। सावन में भौतिकता से अधिक आध्यात्मिक शुद्धि और भगवान के प्रति सच्चे मन की भक्ति पर जोर देना ही श्रेष्ठ माना जाता है। अपने धन का सदुपयोग पुण्य कार्यों में करें, लेकिन ऐसी चीजों का दान न करें जो नकारात्मकता लाएँ। सावन माह में सच्ची श्रद्धा और इन नियमों का पालन करने से ही महादेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को सुख, शांति तथा समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।