लोग दूर-दूर से उनकी सलाह लेने आते थे, और आज भी चाणक्य नीति में दर्शाए गए सिद्धांतों को अपनाकर लोग अपनी जीवन की कई समस्याओं का समाधान पाते हैं।
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति नामक ग्रंथ में अपने विचार व्यक्त किए हैं, जिसमें मानव जीवन से संबंधित हर पहलू का गहराई से उल्लेख किया गया है। यदि कोई व्यक्ति सफल, समृद्ध और सुखी जीवन जीना चाहता है, तो चाणक्य नीति के सिद्धांत उसके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं।
इसी प्रकार, आचार्य चाणक्य ने पत्नी, भाई और गुरु के कुछ ऐसे दोषों के बारे में बताया है, जो यदि किसी व्यक्ति में हों, तो उन्हें बिना किसी हिचकिचाहट के उनसे दूर रहने की सलाह दी है। ऐसा माना जाता है कि जब आप ऐसे लोगों से दूर रहेंगे, तो आपके जीवन की सभी मुश्किलें और समस्याएं दूर हो जाएंगी।
आइए जानते हैं चाणक्य नीति के एक श्लोक के अनुसार, किस प्रकार की पत्नी, गुरु, भाई और रिश्तेदारों का त्याग करना चाहिए।
श्लोक:
त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्।
त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या नि:स्नेहान्बान्धवांस्यजेत्।।
ऐसी पत्नी से दूरी बनाएं:
आचार्य चाणक्य के अनुसार, ऐसी पत्नी से तुरंत दूरी बनानी चाहिए, जो हर छोटी बात पर गुस्सा होती है या जिनके स्वभाव में क्रोध होता है। क्योंकि चाणक्य के अनुसार, ऐसी महिलाओं के कारण घर में हमेशा कलह और चुनौतियों का माहौल रहता है।
ऐसे भाई-बहनों से दूरी बनाएं:
आचार्य चाणक्य ने श्लोक के माध्यम से कहा है कि व्यक्ति को तुरंत अपने जीवन से ऐसे भाई-बहनों को दूर करना चाहिए, जिनमें आपके प्रति प्रेम और स्नेह की भावना नहीं है। इसलिए, जितना जल्दी हो सके, उन्हें छोड़ देना बेहतर है।
ऐसे गुरु से सीखना व्यर्थ है:
चाणक्य नीति के अनुसार, व्यक्ति को ऐसे गुरु का त्याग करना चाहिए, जिनके पास थोड़ा सा भी शिक्षा और ज्ञान नहीं है, क्योंकि ऐसे गुरु केवल अपने शब्दों से आपको आकर्षित कर सकते हैं और आपको कोई ज्ञान या गुरु शिक्षा नहीं दे सकते। इसलिए, ऐसे गुरु का जितना जल्दी हो सके, त्याग करें।