संजय कालीरावणा की जीवनी: हॉकी इंडिया ए टीम के कप्तान संजय कालीरावणा की कहानी उन युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा है जो छोटे गांवों से बड़े सपने लेकर निकलते हैं।
(संजय कालीरावणा की जीवनी) हिसार जिले के डाबड़ा गांव से संबंध रखने वाले संजय ने अपने बचपन से ही हॉकी को अपना लक्ष्य बना लिया था।
2008 में जब उन्होंने खेल की शुरुआत की, तब उनके पास खुद की हॉकी स्टिक भी नहीं थी। उस समय कोच राजेंद्र सिहाग ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें हॉकी स्टिक देकर प्रोत्साहित किया।
गांव में तीन साल तक अभ्यास करने के बाद वे चंडीगढ़ हॉकी अकादमी पहुंचे। वहां से 2011 में उन्होंने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की। 2015 में सब-जूनियर चैंपियनशिप में हैट्रिक बनाकर टीम को जीत दिलाने वाले संजय ने 2017 में स्कूल एशिया कप में अंडर-21 भारतीय टीम की कप्तानी की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संजय की उपलब्धियां
संजय का सफर यहीं समाप्त नहीं हुआ। उन्होंने 2018 में यूथ ओलंपिक, 2022 में एशियन गेम्स और 2024 में पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2023 में बार्सिलोना में आयोजित चौथे नेशनल मेंस इनविटेशनल टूर्नामेंट में भी उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
जुलाई 2025 में उन्हें हॉकी इंडिया की ए टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है और वे अब एशिया कप 2025 में भारत का नेतृत्व करेंगे। सरकार ने उन्हें उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया है।
संघर्ष और सफलता की कहानी
हॉकी इंडिया ए टीम के कप्तान संजय कालीरावणा की सफलता केवल खेल के मैदान पर मिली जीत नहीं है, बल्कि यह उनके आत्मबल, मेहनत और जुनून की कहानी है। उनकी यात्रा यह दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन, जुनून और समर्पण से कोई भी खिलाड़ी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है।