दुनिया के कई बड़े देश घटती आबादी से परेशान हैं. चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, जर्मनी समेत कई देश घटती आबादी से जूझ रहते हैं. इन्हें बढ़ाने की तमाम कोशिशें भी नाकाफी साबित हो रही हैं. बढ़ती आबादी के खतरों को बताने के लिए 1990 से विश्व जनसंख्या मनाने की शुरुआत हुई थी, लेकिन अब ज्यादातर देशों में हालात उलट हैं. देश जनसंख्या बढ़ाने की जद्दोजहद में परेशान हैं.
आबादी बढ़ाने के लिए नागरिकों को पैसों का लालच दिया जा रहा है. सरकारी योजनाओं में भागीदारी बढ़ाई जा रही है. सरकार इन्हें जनसंख्या बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. कर में छूट दी जा रही है. प्रवासियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
अब सवाल उठता है कि चीन, रूस, जर्मनी और जापान जैसे कई देश जनसंख्या को बढ़ाने पर क्यों तुले हैं. घटती जनसंख्या के आंकड़े उन देशों की सरकारों को क्यों डरा रहे हैं. विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर जानिए, इनके जवाब.
आबादी घटी क्यों, पहले इसे समझें?आबादी घटने के लिए कोई एक कारण नहीं है. महंगा लाइफस्टाइल अपनाने की चाहत, बढ़ती महंगाई, बच्चों के खर्च को संभालने के लिए महिलाओं का कॅरियर की तरफ झुकाव, नौकरी पर फोकस करते हुए शादी में होने वाली देरी इसकी वजह हैं. इसके अलावाकम बच्चे करके उनको बेहतर और शिक्षा देने की कोशिश, काम का दबाव और बिगड़ती जीवनशैली ने आबादी को घटाने का काम किया है.
यही नहीं कई देशों में एक या अधिकतम दो बच्चों की पाॅलिसी और युवाओं का विदेश की तरफ पलायन भी इसकी वजह बना. चीन जैसे देश में एक दशक तक सिंगल चाइल्ड की पॉलिसी ने भी आबादी को घटाने का काम किया है. जापान में बच्चों के जन्म दर में होने वाली बड़ी गिरावट और बुजुर्गों की बढ़ी आबादी के कारण इसे बुजुर्गों का देश कहा जाने लगा है. ऐसे हालात चीन और जापान के अलावा दक्षिण कोरिया, इटली, जर्मनी, रूस, स्पेन, पुर्तगाल और हंगरी में भी हैं. आज चीन और रूस जैसे देश सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में भले ही शामिल हों, लेकिन गिरती जन्मदर के खतरों को ये देश अच्छी तरह से समझ रहे हैं.
11 जुलाई 1987 को दुनिया की आबादी 5 अरब तक पहुंच गई थी. यह एक गंभीर मुद्दा बन गया था. जनसंख्या बढ़ने पर कैसे विकास पर असर पड़ेगा और पर्यावरण इससे कैसे प्रभावित होगा. ऐसे तमाम मुद्दों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए 1989 में युनाइटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) ने वर्ल्ड पॉपुलेशन डे मनाने का फैसला लिया था. इसके अगले साल यानी 1990 से दुनिया में 90 देशों ने 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया और यह क्रम जारी है.
वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2019 में कहा गया था कि चीन सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और साल 2027 में आबादी के मामले में भारत चीन को पीछे छोड़ देगा. लेकिन भारत 2027 से पहले चीन को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया.
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