Maalik Review: 'मालिक' बनकर दिल चुरा ले गए राजकुमार राव, दमदार है एक्टर का गैंगस्टर अवतार, यहां पढ़ें रिव्यू
TV9 Bharatvarsh July 11, 2025 07:42 PM

क्या आप भी उन लोगों में से हैं जो वीकेंड पर नेटफ्लिक्स खंगाल-खंगाल कर थक चुके हैं, और कुछ नया, कुछ धमाकेदार ढूंढ रहे हैं? तो आपकी तलाश पूरी हुई! राजकुमार राव और मानुषी छिल्लर की जोड़ी पहली बार बड़े पर्दे पर तहलका मचाने आई है फिल्म ‘मालिक’ के साथ, और जनाब, ये फिल्म सिर्फ ट्रेलर में ही नहीं, बड़े पर्दे पर भी शानदार है! पुलकित द्वारा निर्देशित इस फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद से ही जो उत्सुकता बनी हुई थी, वो अब एक शानदार cinematic अनुभव में बदल गई है. इन दोनों कलाकारों की ताज़ा केमिस्ट्री और धमाकेदार एक्शन ने मिलकर कुछ ऐसा कमाल किया है कि आप अपनी सीट से हिल नहीं पाएंगे. आगे पढ़ें और जानें, फिल्म में क्या अच्छा है और क्या बेहतर हो सकता था.

कहानी

फिल्म की कहानी हमें ले चलती है इलाहबाद की उन गलियों में, जहां दीपक रहता है. किसान के इस बेटे की आंखों में कुछ कर गुजरने की चमक है और शायद यही चमक उसे ऐसे रास्तों पर ले जाती है, जहां आम इंसान जाने से डरता है. परिस्थितियां कुछ ऐसी बुनी जाती हैं कि दीपक धीरे-धीरे अपनी एक नई पहचान बनाता है – एक बाहुबली की. ये पहचान उसे ताकत देती है, लेकिन समाज और कानून की नजरों में उसे एक अपराधी बना देती है. क्या दीपक इस दोहरी लड़ाई में जीत पाएगा? क्या बाहुबली बनने का उसका सफर उसे कामयाबी की ओर ले जाएगा, या ये उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दाव साबित होगा? ये जानने के लिए आपको ये रोमांचक सफर बड़े पर्दे पर ही देखना होगा.

जानें कैसी है फिल्म

ये सच है राजकुमार राव कि फिल्म ‘मालिक’ की कहानी कई मायनों में प्रेडिक्टेबल लग सकती है, लेकिन पुलकित का निर्देशन और कलाकारों की एक्टिंग इसे बेहद दिलचस्प बनाते हैं. वैसे ये फिल्म कमजोर दिल वालों के लिए नहीं है. क्योंकि ये फिल्म 90 के दशक के उत्तर प्रदेश की उस हिंसा को बड़ी बारीकी से दिखाती है जब वहां बंदूक की आवाज आम थी.

निर्देशन

कहानी वही पुरानी होने की वजह से सीधे निर्देशन की बात करते हैं, पुलकित ने ‘मालिक’ के निर्देशन में अपनी एक अलग छाप छोड़ी है. यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्हें पर्दे पर गोलीबारी के दृश्यों को फिल्माने में एक अलग ही आनंद आता है, और ये कई सीन में साफ झलकता भी है. फिल्म की शुरुआत ही चौंकाने वाली है, जहां एक पुलिसवाले के साथ बेहद बेरहमी से पेश आया जाता है, जो देखकर हैरानी होती है और जनता तुरंत फ़िल्म से कनेक्ट हो जाती है. पुलकित की ये कोशिश काबिले तारीफ है कि फिल्म में हिंसा को ‘एनिमल’ की तरह सिर्फ मजे के लिए नहीं दिखाया गया है, फिल्म में कही पर भी बेवजह का खून-खराबा नहीं दिखता. हालांकि, कुछ मौकों पर फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और शॉट्स को और स्टाइलिश बनाया जा सकता था, जो इसके दृश्य अनुभव को और बेहतर कर सकती थी. इसके बावजूद, पुलकित ने कहानी कहने और किरदारों को गढ़ने में कमाल का काम किया है. पुलकित को अपने इस मिशन में फिल्म की कास्ट ने उनका पूरा साथ दिया है.

एक्टिंग

एक्टिंग की बात करें तो, राजकुमार राव को पूरे नंबर मिलते हैं. दीपक के रोल में उनका अंदाज (स्वैग) और परफ़ॉर्मेंस जबरदस्त है. उन्होंने सिर्फ अपने चेहरे के हाव-भाव (एक्सप्रेशंस) ही नहीं, बल्कि अपने लुक और बॉडी लैंग्वेज पर भी कमाल का काम किया है. वो हर सीन में जान डाल देते हैं और अपनी बेहतरीन एक्टिंग से किसी भी मुश्किल सिचुएशन को संभाल लेते हैं. उनकी यही खूबी है कि जब वह पर्दे पर हों, तो दर्शक उनसे नज़रें नहीं हटा पाते. सौरभ शुक्ला और स्वानंद किरकिरे फिल्म में चार चांद (सोने पे सुहागा) लगा देते हैं. अंशुमान पुष्कर ने भी मालिक के जिगरी दोस्त और दाहिने हाथ के रूप में बहुत बढ़िया काम किया है. प्रोसेनजीत चटर्जी भी हमेशा की तरह अच्छे हैं. लेकिन मानुषी छिल्लर, जो दीपक की पत्नी बनी हैं, वो अपने रोल में फिट नहीं बैठतीं. सिर्फ साड़ी पहनना और उदास चेहरा बनाना ही एक गैंगस्टर की पत्नी की परेशानियां दिखाने के लिए काफ़ी नहीं है. शायद फिल्म के लिए गोल रोटी बनाना सीखने की बजाय, उन्हें अपने एक्सप्रेशंस पर और मेहनत करनी चाहिए थी, क्योंकि जब सामने राजकुमार राव जैसा बेहतरीन एक्टर हो, तो आपको अपनी एक्टिंग का स्तर ऊंचा रखना ही पड़ता है.

देखें या न देखें

‘मालिक’ एक ऐसी फिल्म है जो अपनी कुछ कमजोरियों के बावजूद एक प्रभावशाली छाप छोड़ती है. राजकुमार राव का अभिनय, जो हर फ्रेम में जान डाल देता है, और पुलकित का कुशल निर्देशन, हिंसा को भी सलीके से परोसता है. भले ही कहानी की दिशा कुछ हद तक अनुमानित हो और मानुषी छिल्लर के किरदार में गहराई का अभाव खलता हो, लेकिन ये पहलू फिल्म के प्रभाव को कम नहीं करते. कई बार एक औसत फिल्म देखने के बाद एक ठीकठाक फिल्म अच्छी और अच्छी फिल्म भी बहुत शानदार लगने लगती है. ‘मालिक’ के साथ ऐसा ही हुआ है, ‘आँखों की गुस्ताखियाँ’ जैसी फिल्मों के बाद यह निश्चित रूप से एक ताज़ी हवा का झोंका है. ये फिल्म उन दर्शकों के लिए एक दमदार पैकेज है जो वीकेंड पर कुछ अलग, 90एस का अनुभव चाहते हैं. फिल्म को हमारी तरफ़ से 3.5 स्टार्स.

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