उत्तर प्रदेश की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (UP-ATS) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जो धर्म और आस्था के नाम पर लोगों को ठगता रहा, और इसका सरगना है खुद को 'रूहानी बाबा' कहलवाने वाला छांगुर बाबा, जिसका असली नाम है जमालुद्दीन। अब यह नाम करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध संपत्तियों और साजिशों से जुड़ गया है।
ईडी की शुरुआती जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है—बाबा और उसके साथियों के 40 से ज़्यादा बैंक खातों में 106 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम जमा मिली है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये फंडिंग पश्चिम एशिया से की गई, जो पूरे मामले को अंतरराष्ट्रीय रंग दे देती है।
कहां से शुरू हुई 'रूहानियत' की यह परछाईं?
बलरामपुर के एक छोटे से गांव ‘रेहरा माफी’ में जन्मे जमालुद्दीन कभी रत्न बेचने का छोटा-मोटा काम करता था। मुंबई की हाजी अली दरगाह में आस्था की तलाश में पहुंचा, लेकिन वहीं से उसकी ‘रूहानी छवि’ बनने लगी। धीरे-धीरे उसने खुद को ‘छांगुर बाबा’ का नाम दिया और फिर शुरू हुआ उसका कथित चमत्कारी सफर—जिसने हजारों गैर-मुस्लिमों को प्रभावित किया।
बताया जा रहा है कि 2020 के बाद बाबा की आर्थिक स्थिति अचानक बदल गई। महज कुछ वर्षों में वह इतना ताकतवर हो गया कि उसने 3,000 से 4,000 लोगों का धर्मांतरण कराया, जिनमें 1,500 से अधिक महिलाएं शामिल थीं।
धर्मांतरण का तरीका और ‘रेट लिस्ट’
ATS को जो दस्तावेज़ मिले हैं, उनसे इस खेल की गहराई और संगठित स्वरूप का पता चलता है। लोगों को ‘दुआ’, ‘इलाज’ और ‘चमत्कारों’ के ज़रिए मानसिक रूप से प्रभावित किया जाता था। सबसे खौफनाक बात? एक “रेट लिस्ट” सामने आई है, जिसमें जाति और लिंग के हिसाब से धर्मांतरण की कीमत तय थी!
बाबा की सबसे करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन, जो पहले एक व्यापारी नवीन रोहरा की पत्नी थीं, धर्मांतरण के बाद बाबा की टीम में शामिल हो गईं। उन्होंने ना सिर्फ बाबा की मदद की बल्कि धर्मांतरण में बड़ा रोल भी निभाया।
बाबा की ‘रूहानी दुनिया’ के पीछे आलीशान महल
ATS और प्रशासन की संयुक्त कार्रवाई में बाबा के बलरामपुर स्थित बंगले को जब गिराया गया तो अफसर भी चौंक गए। बंगला किसी विदेशी टूरिस्ट रिसॉर्ट से कम नहीं था—15×15 फीट का मॉड्यूलर किचन, विदेशी परफ्यूम्स, इलेक्ट्रिक फेंसिंग, 10 CCTV कैमरे और एक सीक्रेट कंट्रोल रूम, जिससे पूरे परिसर पर नजर रखी जाती थी।
इतना ही नहीं, सरकारी ज़मीन पर मदरसा, अस्पताल और कॉलेज जैसे कई निर्माण अवैध रूप से किए गए थे। ये अब जांच के घेरे में हैं।
कहां-कहां फैला है नेटवर्क?
नवीन रोहरा के माध्यम से बाबा ने पुणे की मावल तहसील में 2 लाख वर्गफुट जमीन 16 करोड़ में खरीदी, और जांच एजेंसियों को शक है कि यह जमीनें धर्मांतरण केंद्र बनाने के लिए इस्तेमाल की जानी थीं। नागपुर के इदल इस्लाम की भूमिका भी सामने आई है, जो जमीनों की खरीद-फरोख्त में बाबा की मदद करता था।
ईडी की जांच में ये भी सामने आया है कि छांगुर बाबा भारत-नेपाल सीमा पर एक ‘बड़ा दावा केंद्र’ खोलने की योजना बना रहा था, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धर्मांतरण का नेटवर्क खड़ा किया जा सके।
गिरफ्तारी और अब तक की कार्रवाई
5 जुलाई को छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नसरीन को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया। ATS को 16 जुलाई तक पुलिस रिमांड मिली है, जिसमें आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की जाएगी। बाबा के घर से कई संवेदनशील दस्तावेज़, विदेशी लेन-देन के सबूत और हाईटेक निगरानी उपकरण बरामद किए गए हैं।
ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) के तहत केस दर्ज कर लिया है और अब बैंक खातों, संपत्तियों और विदेशी फंडिंग की विस्तृत जांच जारी है।
नवीन रोहरा कौन है और कैसे बना ‘जमालुद्दीन’?
मुंबई का बिज़नेसमैन नवीन रोहरा पहले एक सामान्य नागरिक था, लेकिन छांगुर बाबा के संपर्क में आकर उसने पत्नी नीतू और बेटी के साथ इस्लाम कबूल किया और बाबा को अपनी लग्जरी कार, जमीन तक सौंप दी। बाद में उसका नाम ‘जमालुद्दीन’ और पत्नी का नाम ‘नसरीन’ रख दिया गया।