भारत अपनी सीमाओं और पड़ोसी देशों, खासकर चीन से लगी सीमा पर, बुनियादी ढाँचे को लगातार मज़बूत कर रहा है। हाल ही में, भारत ने भूटान की हा घाटी में एक विशेष सड़क का निर्माण किया है, जो डोकलाम के पास है। यह सड़क न केवल भूटान के लिए लाभदायक है, बल्कि भारत की सामरिक शक्ति में भी वृद्धि करेगी।
यह सड़क क्यों खास है?
यह सड़क भूटान की हा घाटी को जोड़ती है, जो डोकलाम से मात्र 21 किलोमीटर दूर है। डोकलाम में 2017 में भारत और चीन के बीच एक बड़ा टकराव हुआ था। इस सड़क का निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) ने लगभग 254 करोड़ रुपये की लागत से किया है।भूटान के प्रधानमंत्री तोबगे शेरिंग ने आज, 1 अगस्त 2025 को इस सड़क का उद्घाटन किया। यह सड़क बारहमासी है, यानी बारिश, बर्फबारी या तूफ़ान में भी आवाजाही संभव होगी।
हा घाटी भूटान के लिए आर्थिक और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह सड़क न केवल स्थानीय लोगों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि भूटान की सेना को चुम्बी घाटी (जो तिब्बत के पास है) तक तेज़ी से पहुँचने में भी मदद करेगी।चुंबी घाटी में चीनी सैनिक मौजूद हैं, इसलिए यह इलाका रणनीतिक रूप से संवेदनशील है। ज़रूरत पड़ने पर भारतीय सेना भी इस सड़क का फ़ायदा उठा सकती है, ख़ासकर चीन के ख़िलाफ़ किसी स्थिति में।
डोकलाम संकट: 2017 के सबक
2017 में डोकलाम में बड़ा विवाद हुआ था। चीन ने जम्फेरी रिज तक सड़क बनाने की कोशिश की थी, जो भूटान और भारत के लिए ख़तरे की बात थी। भारतीय सेना ने इसका विरोध किया और 'ऑपरेशन जुनिपर' चलाया। भारतीय सैनिक डोकलाम पहुँच गए और चीनी सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया। 72 दिनों तक चले इस टकराव के बाद चीन को पीछे हटना पड़ा।लेकिन इसके बाद भी चीन ने डोकलाम में हेलीपैड और अन्य सुविधाएँ बना लीं। वहाँ हज़ारों सैनिक तैनात थे। डोकलाम भूटान के पास है, लेकिन यह सिक्किम-भूटान-तिब्बत के त्रिकोण पर है, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। इस घटना ने भारत को अपनी सीमा और बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने की सीख दी।
प्रोजेक्ट दंतक: भारत-भूटान मैत्री का प्रतीक
यह सड़क बीआरओ के 'प्रोजेक्ट दंतक' के तहत बनाई गई है। प्रोजेक्ट दंतक 1960 के दशक से भूटान में कार्यरत है और भूटान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इस सड़क में 5 नए पुल बनाए गए हैं, जो इसे हर मौसम के लिए उपयुक्त बनाते हैं। हाल ही में भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भूटान का दौरा किया। उन्होंने हा घाटी की सड़क के बारे में जानकारी ली।
बीआरओ के डीजीबीआर (सीमा सड़क महानिदेशक) लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन भी भूटान में हैं, जहाँ उन्होंने नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और प्रधानमंत्री तोबगे शेरिंग से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने भूटान के विकास में दंतक की भूमिका की सराहना की। इस सड़क के उद्घाटन से न केवल कनेक्टिविटी बल्कि पर्यटन और रसद को भी बढ़ावा मिलेगा।2017 के डोकलाम विवाद के बाद, भूटान में सड़क निर्माण कार्य में तेजी आई है। सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बेहतर बनाने के लिए बीआरओ कई और परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
भारत-भूटान संबंध और चीन की चुनौती
भारत और भूटान के बीच गहरी मित्रता है। भूटान भारत का पड़ोसी देश है। वह चीन के बढ़ते प्रभाव का सामना कर रहा है। 2017 में डोकलाम के दौरान भूटान ने भारत का समर्थन किया था, जो इस मित्रता का एक उदाहरण है। भारत दोनों देशों की संयुक्त सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए भूटान में सड़क और बिजली जैसी परियोजनाओं में निवेश कर रहा है।चीन ने डोकलाम और आसपास के इलाकों में सड़कें और गाँव बसाए हैं, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। हा घाटी सड़क भारत को चीन द्वारा कोई भी कार्रवाई किए जाने पर अपनी सेना और संसाधनों को तुरंत तैनात करने का अवसर प्रदान करती है। यह सड़क भूटानी सेना के लिए चंबी घाटी तक पहुँच को भी सुगम बनाएगी।