
investment choice of indians: भारत में सोने की कीमतें लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं, जिससे आम खरीदारों के लिए यह पहुंच से बाहर होता जा रहा है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत में सोने की मांग पिछले 5 सालों में सबसे कम हो सकती है। लोग अब पहले की तरह शादियों और त्योहारों पर गहनों की खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं, जिससे सोने की खपत पर सीधा असर पड़ रहा है। बढ़ती कीमतों ने इसे एक लग्जरी आइटम बना दिया है, जिसे खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं रही।
निवेश के लिए ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड बन रहे पसंद
भारतीय निवेशकों की सोच में भी बड़ा बदलाव आया है। जहां पहले लोग फिजिकल गोल्ड खरीदते थे, अब वे आधुनिक और सुविधाजनक विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। गोल्ड ईटीएफ (ETF) और डिजिटल गोल्ड इसी बदलाव का हिस्सा हैं। इसके प्रमुख कारण हैं :
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सुरक्षा और सुविधा: भौतिक सोने को रखने में चोरी या गुम होने का खतरा होता है, जबकि ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड में ऐसी कोई चिंता नहीं होती। इन्हें डीमैट खाते में सुरक्षित रूप से रखा जा सकता है।
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तरलता (
Liquidity): भौतिक सोने को बेचना मुश्किल हो सकता है, लेकिन गोल्ड ईटीएफ को शेयर बाजार में आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है, ठीक शेयरों की तरह।
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कम लागत: ईटीएफ में निवेश करने पर मेकिंग चार्ज और स्टोरेज का कोई खर्च नहीं होता। निवेशक छोटी-छोटी मात्रा में भी निवेश शुरू कर सकते हैं, जो इसे छोटे निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है।
यह बदलाव खासतौर पर युवा और टेक्नोलॉजी-प्रेमी पीढ़ी में ज्यादा देखा जा रहा है, जो ऑनलाइन निवेश को ज्यादा पसंद करते हैं।
यह सच है कि सोने की मांग में गिरावट आ रही है, और भारतीयों की निवेश की आदतें बदल रही हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सोने का महत्व खत्म हो गया है। सोना आज भी एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, जो आर्थिक अनिश्चितता के समय में पोर्टफोलियो को स्थिरता देता है।
हालांकि, अब यह सिर्फ गहनों के रूप में नहीं, बल्कि एक आधुनिक वित्तीय साधन के रूप में देखा जा रहा है। इस बदलाव को भारत में सोने की कहानी का नया अध्याय कहा जा सकता है।
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