अपने हेलमेट पर तिरंगा लगाने वाला पहला भारतीय क्रिकेटर कौन था? और जबकि ऐसा करना प्रतिबंधित था
CricketnMore-Hindi August 20, 2025 12:42 AM

भारत ने हाल ही में अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाया। इस मौके पर कई क्रिकेटरों ने भी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए अपने मैसेज और फोटो पोस्ट किए। अभी तो बारबाडोस में टी20 वर्ल्ड कप में जीत के बाद रोहित शर्मा के भारतीय ध्वज फहराने की याद भी ताज़ा है। इस मौके पर रोहित शर्मा ने भी टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद, केंसिंग्टन ओवल में तिरंगा फहराने वाले उस पल को याद किया।

क्या आप जानते हैं कि अपने हेलमेट पर तिरंगा लगाने वाला पहला क्रिकेटर कौन थे और किस मैच में ऐसे हेलमेट को पहना? किसी क्रिकेटर के हेलमेट पर भारतीय ध्वज लगाने की पहली मिसाल का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम है। इस घटना ने, शुरुआत करने वाले उस एशिया कप मैच को इसीलिए ऐतिहासिक बना दिया। तेंदुलकर के बाद विराट कोहली, रोहित शर्मा और युवराज सिंह जैसे कई क्रिकेटरों ने भी अपने हेलमेट पर भारतीय ध्वज लगाना शुरू कर दिया और फिर तो ये सिलसिला ही चल पड़ा। सचिन तेंदुलकर आज भी, अपने हेलमेट पर पहली बार तिरंगा लगाने वाले उस ऐतिहासिक अवसर को याद करते हैं। 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्होंने जो बात कही, वह तो खूब चर्चा में रही: #39;मैं हमेशा अपने हेलमेट पर भारतीय ध्वज को लगाते हुए बड़ा गर्व महसूस करता हूं।#39;

जिस ऐतिहासिक एशिया कप मैच का जिक्र कर रहे हैं, वह 1997 के एशिया कप में भारत का पहला मैच था। 18 जुलाई को कोलंबो के आर. प्रेमदासा स्टेडियम में श्रीलंका के विरुद्ध खेले उस मैच में भारत ने 50 ओवर में 6 विकेट पर 227 रन बनाए और जवाब में श्रीलंका ने 44.4 ओवर में 4 विकेट पर 231 रन बनाकर, जब 6 विकेट से जीत हासिल की तो उनके हिस्से की 32 गेंद बची थीं। मैन ऑफ द मैच अर्जुन रणतुंगा रहे, 131* बनाकर (152 गेंद खेले, 17 चौके और अटापट्टू और डेब्यू कर रहे लंका डी सिल्वा के साथ 100 रन वाली पार्टनरशिप कीं)। बाद में उन्होंने इसे, अपनी सबसे बेहतर पारी में से एक बताया था।

विश्वास कीजिए, उस समय अपने कपड़ों पर तिरंगा लगाया जाना या इसी तरह किसी और सामान पर तिरंगा लगाना मना था। तब सचिन तेंदुलकर के अपने हेलमेट पर भारतीय ध्वज लगा कर खेलने से पूरे देश में बहस शुरू हो गई थी। ढेरों उन्हें सपोर्ट करने वाले थे तो ढेरों इसे गलत बताने वाले भी थे। ये बहस अगले कई साल तक जारी रही! सबसे बड़ी बात ये थी कि उस समय लागू फ्लैग कोड के अनुसार कपड़ों पर तिरंगा लगाने पर प्रतिबंध था। टीवी एंकर मंदिरा बेदी के, वर्ल्ड कप के दौरान तिरंगा डिजाइन वाली साड़ी पहनने पर भी बड़ा हंगामा हुआ था। इस स्टोरी की विस्तार से चर्चा अलग से करेंगे। आखिरकार फरवरी 2005 में, इंडियन फ्लैग कोड के तहत, सरकार ने एक आदेश जारी कर दिया जिसमें बीसीसीआई और उनसे जुड़े हर किसी पर, कपड़ों पर ध्वज का उपयोग करने का प्रतिबंध लगा दिया।

इस आदेश का मतलब था कि क्रिकेटर और अन्य खेल खेलों के स्टार अपनी आस्तीन, गियर या अपनी किट पर कहीं भी देशभक्ति का कोई मैसेज न लिख सकते थे और न ही उसके किसी प्रतीक का इस्तेमाल कर सकते थे। इस तरह, उस समय इस्तेमाल हो रहा, न सिर्फ सचिन तेंदुलकर का हेलमेट चर्चा में आ गया, कप्तान सौरव गांगुली के बल्लेबाजी ग्लव्स पर भी ये प्रतिबंध लागू हो गया क्योंकि उनके ट्रेडमार्क ग्लव्स में भी भारतीय ध्वज के नारंगी, सफेद और हरे रंग चमकते थे। तब मशहूर बॉलीवुड हस्ती सुनील दत्त, भारत के स्पोर्ट्स मिनिस्टर थे और वे भी इस फैसले से हैरान थे। सुनील दत्त ने कहा, #39;मेरा व्यक्तिगत तौर पर ये मानना है कि क्रिकेटरों को तिरंगे का उपयोग करने से नहीं रोकना चाहिए।राष्ट्रीय ध्वज तो मनोबल बढ़ाने वाला होता है।#39;

क्रिकेटर युवराज सिंह ने तब कहा था, #39;यह उनका नजरिया है, लेकिन मुझे हेलमेट पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ खेलने में बड़ा गर्व महसूस होता है। ये बिल्कुल अलग एहसास है।#39;

इस तरह से, क्रिकेटरों के अपने किट पर राष्ट्रीय ध्वज के इस्तेमाल को लेकर उठे इस मामले में बहस ने अब नया रंग ले लिया। पूरे देश में हुई इस बहस को देखते हुए ही, आखिर में उसी महीने सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें खिलाड़ियों के अपने हेलमेट या पोशाक पर तिरंगा इस्तेमाल करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते उस तिरंगे में अशोक चक्र न बना हो। इस फैसले की खबर खुद होम मिनिस्टर शिवराज पाटिल ने बीसीसीआई के वाईस प्रेजिडेंट राजीव शुक्ला को दी। भले ही होम मिनिस्ट्री ने हेलमेट और पोशाक पर राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन की इजाजत न देने का अपना फैसला न बदला, तब भी क्रिकेटरों और अन्य सभी खिलाड़ियों के लिए, अशोक चक्र के बिना भी, तिरंगे के इस्तेमाल की इजाजत बहुत बड़ी राहत थी।

सचिन तेंदुलकर का अपना 100 या कोई बड़ा रिकॉर्ड बनाने के बाद अपने हेलमेट को चूमना, अभी तक हर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक के मन में बसा हुआ है। वे ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि उनके हेलमेट पर भारतीय ध्वज बना था और ग्राउंड पर वह जो कुछ भी करते थे, उससे उन्हें अपने देश को गौरवान्वित करने का अहसास होता था। उस दौर में, बड़े क्रिकेटरों में से जो एक ख़ास स्टार क्रिकेटर अपने हेलमेट पर तिरंगा नहीं लगाते थे वे एमएस धोनी थे। वे कहते थे: एक विकेटकीपर, अक्सर जब हेलमेट नहीं पहनता तो उसे कहीं दूर जमीन पर रख देता है। राष्ट्रीय ध्वज बड़े सम्मान और आदर का प्रतीक है, इसलिए कानून यही है कि इसे ज़मीन पर नहीं रखा जा सकता। इसलिए या तो आप ध्वज वाले हेलमेट को ज़मीन पर न रखें या फिर ध्वज को हेलमेट पर लगाएं ही न।

23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य केस में अपना ऐसा फैसला सुनाया जो ऐतिहासिक है और जिसकी देशभर में गूंज हुई। इसके तहत सभी नागरिकों को साल भर तिरंगा फहराने का मौलिक अधिकार मिल गया। इसके साथ ही तिरंगे की क्रिकेट में गर्व से वापसी हो गई।

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चरनपाल सिंह सोबती

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