झारखंड के हजारीबाग जिले में धर्मांतरण को लेकर एक दुखद और घिनौना मामला सामने आया है। यहां एक दंपती ने मिशनरी एजेंटों के दुष्प्रचार और झूठे वादों पर विश्वास करने की कीमत अपने आठ साल के बेटे की जान देकर चुकानी पड़ी।
जानकारी के अनुसार, यह घटना उन मिशनरी एजेंटों से जुड़ी है, जो चमत्कारिक उपायों से रोग ठीक करने और धर्मांतरण कराने का झूठा दावा करते हैं। उन्होंने दंपती को यह विश्वास दिलाया कि उनके बच्चे के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हल केवल उनके सुझाए गए धार्मिक अनुष्ठान और उपायों में ही है।
दंपती ने मिशनरी एजेंटों की बातों पर विश्वास किया और अपने बेटे के इलाज के लिए पारंपरिक और आवश्यक चिकित्सीय मदद को नजरअंदाज कर दिया। नतीजा यह हुआ कि बच्चा सुरक्षित और समय पर उचित इलाज न मिलने के कारण अपनी जान गंवा बैठा।
स्थानीय लोगों और परिवार के सदस्यों का कहना है कि यह घटना मिशनरी एजेंटों द्वारा किए गए दुष्प्रचार और धोखाधड़ी का स्पष्ट उदाहरण है। उन्होंने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि इस तरह के मामलों को दोबारा होने से रोका जा सके।
स्वास्थ्य और सामाजिक विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की जीवन रक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए केवल प्रमाणिक चिकित्सा और योग्य चिकित्सकों की सलाह पर ही भरोसा करना चाहिए। किसी भी तरह के धार्मिक या गैर-वैज्ञानिक दावे पर विश्वास करना खतरनाक साबित हो सकता है।
हजारीबाग पुलिस और प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और ऐसे मिशनरी एजेंटों को गिरफ्तार कर उनके गैरकानूनी कार्यों को रोकने का प्रयास किया जाएगा।
विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को लेकर चेतावनी दी है कि धर्मांतरण और चमत्कार के नाम पर फैलाया गया दुष्प्रचार बच्चों और परिवारों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की है कि वे इस तरह के झूठे प्रचार से प्रभावित न हों और अपने बच्चों को सुरक्षित रखें।
हजारीबाग जिले में यह मामला सामाजिक और कानूनी दोनों दृष्टियों से चिंता का विषय बन गया है। प्रशासन ने इलाके में मिशनरी गतिविधियों पर सख्त नजर रखने और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं।
इस दर्दनाक घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धार्मिक एजेंटों और मिशनरियों के झूठे वादे न केवल मानव जीवन को खतरे में डालते हैं, बल्कि समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना को भी हिला देते हैं। अब स्थानीय प्रशासन और पुलिस दोनों ही इस तरह के मामलों पर सख्ती से निगरानी कर रहे हैं, ताकि भविष्य में किसी और परिवार को इस तरह का दुख सहना न पड़े।