War 2 Connection With Animal: YRF वालों ने ‘वॉर 2’ के लिए बड़ी-बड़ी प्लानिंग की, पर एक अच्छी कहानी बनाने में चूक गए. एक से बड़े एक चेहरे फिल्म का हिस्सा थे, पर अब कुछ काम नहीं आ रहा. फिल्म को रिलीज हुए 7 दिन बीत गए हैं और भारत में 200 करोड़ भी पूरे नहीं हो पाए. यूं तो फिल्म का बजट 400 करोड़ है, अगर वहां तक पहुंचना है तो कुछ तूफानी करना होगा. जिसका वक्त अब निकल गया. आज बात करेंगे YRF के सबसे मजबूत खिलाड़ी की, जिसकी इस फिल्म में एंट्री हुई है. पर वो इसी यूनिवर्स की कई और बड़ी फिल्मों में भी दिखेंगे. यूं तो एनिमल के बाप ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, पर वो मजा नहीं आया, जैसी उनसे उम्मीद की गई थी.
‘वॉर 2’ से एक बड़े चेहरे को अब बाहर का रास्ता दिखा दिया. यानी कर्नल लूथरा बने आशुतोष राणा की जगह एक नए रॉ चीफ की एंट्री करवाई गई. जो हैं अनिल कपूर. यूं तो उनकी एक्टिंग पर कभी कोई शक नहीं और आगे आने वाली फिल्मों के लिए एक बेस्ट च्वाइस है. पर क्या उनके साथ YRF वालों ने इंसाफ किया? उनके इर्द-गिर्द एक कहानी बुनने की कोशिश हुई, जिसने उनके किरदार को हल्का कर दिया. समझाते हैं कैसे?
एनिमल का बाप भी फेल!‘वॉर 2’ में कई एक्टर्स दिखे, पर लीड किरदारों को छोड़कर सपोर्टिंग रोल वालों के लिए कोई खास तैयारी नहीं थी. अगर अयान मुखर्जी चाहते, तो अनिल कपूर को लेकर एक जबरदस्त एंगल जोड़ा जा सकता था. पर चीजें प्रेडिक्टेबल थी क्योंकि उनकी एंट्री के साथ ही पूरा शक उनपर था. लेकिन अक्सर जिसे फिल्मों में चोर बताने पर जोर दिया था, वो आखिर में होता नहीं है. हालांकि, आखिर में उन्होंने काफी अच्छा कमबैक किया, जब पता लगा कि पुराने रॉ चीफ ने ही उन्हें भेजा है. लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत ही इसमें थी. कि उनका एक्शन भी पुराना था, जो उनके किरदार को निखारकर नहीं ला पाया.
कैसे एनिमल की याद आ गई?हमने आपके लिए दो तस्वीर अटैच की है. एक तरफ एनिमल के रणबीर कपूर हैं. और दूसरी ओर उस फिल्म में उनके पिता बने अनिल कपूर. जो उतनी बड़ी मशीन गन न नहीं, पर वैसा ही स्वैग लेकर ‘वॉर 2’ में आए. पर क्योंकि मेकर्स ने इस सीन के लिए कुछ नया और हटकर नहीं सोचा. तो जिस सीन पर थिएटर्स में सीटी बज सकती थी, वो वेस्ट हो गया. अनिल कपूर भी फिल्म में कुछ एडिशनल जोड़ते नहीं दिखते. यह सब कहानी लिखने से ज्यादा उसे प्लान और शूट करने वाले पर था.
1. पहली गलती: अनिल कपूर को लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के तौर पर इस यूनिवर्स में जोड़ा गया है. एक नया रॉ चीफ आ रहा था, तो एंट्री भी वैसी होनी चाहिए थी, पर हुई नहीं. उनकी एंट्री में वो दम नहीं था, जो फिल्म में एक अलग कहानी बुन सकता था. जिसे यूनिवर्स की किसी दूसरी फिल्म से जोड़ा जाता और ऐसे ही कहानी बढ़ती. और अगर उन्हें हीरो के तौर पर दिखाना भी था, तो कम से कम एक अच्छी एंट्री डिजर्व करते थे.
2. नयापन नहीं: वो यूनिवर्स के एक हेड के तौर पर लाए गए हैं. जिसकी कबीर ही नहीं, टाइगर (सलमान) और पठान (शाहरुख) को भी सुननी होगी. कुल मिलाकर वो एक शक्तिशाली व्यक्ति है. पर उनके किरदार को महज एक सपोर्टिंग रोल के तौर पर दिखाया गया है. कोई अच्छी प्लानिंग ही नहीं है, जिससे उनका किरदार मजबूत हो सकता था.
3. अनिल कपूर को नुकसान: अब वो कितनी भी गोलियां चला लें, पर लोगों का कहना है कि कोई दूसरा एक्टर लाते. अब इसमें उनकी गलती नहीं है, पर जिस तरह से फिल्म में उन्हें पेश किया है, उन लोगों की बड़ी मिस्टेक है. अब अगर मेकर्स उनके किरदार को आगे आने वाली फिल्मों में मजबूती के साथ स्थापित नहीं कर पाए. तो वो लोगों को चुभने लगेंगे और आखिर में किसी तरह उनका भी पत्ता काटना पड़ेगा. तो जरूरी है कि एक बड़े एक्टर को उसी तरह से दिखाया जाए.