चीन का सामना करने के लिए अमेरिका को क्यों चाहिए भारत जैसा मित्र? पूर्व अमेरिकी राजदूत ने बताई वजह
TV9 Bharatvarsh August 21, 2025 02:42 PM

ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के बाद भारत और अमेरिका के रिश्ते पहले जैसे नही रहे. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने चेतावनी देते हुए कहा कि अमेरिका और भारत का संबंध टूटने के कगार पर हैं. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका चीन की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाना चाहता है तो उसे भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारना होगा.

हेली ने बुधवार को एक पत्रिका लेख में लिखा कि ट्रंप प्रशासन को अमेरिका और भारत के साझा को लक्ष्यों नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका को चीन की वेश्विक महत्वाकांक्षाओं को नियंत्रित करना है और चीन का सामना करना है तो अमेरिका के पास भारत जैसा एक मित्र होना ही चाहिए.

अमेरिका को दी चेतावनी

हेली ने ट्रम्प द्वारा बनाए जा रहे दबाव का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि सभी को पता है कि रूस से भारत की ऊर्जा खरीद यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को वित्तपोषित करने में मदद करती है. लेकिन हेली ने अमेरिका को चेतवानी देते हुए कहा कि भारत के साथ दुश्मन जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि एशिया में चीनी प्रभुत्व का खिलाफ एकमात्र संतुलन पैदा करने वाले देश के साथ 25 साल की प्रगति को रोकना एक रणनीतिक आपदा होगी.

अमेरिका के लिए भारत जरूरी

हेली ने तर्क देते हुए कहा कि वाशिंगटन के आर्थिक और सुरक्षा लक्ष्यों के लिए भारत के साथ अच्छे संबंध होना बहुत जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ अमेरिका चीन से अपनी सप्लाई चैन हटाना चाहता है, वहीं भारत इसकी पूर्ति करने में सक्षम हैं. उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन को अतिरिक्त टैरिफ और रूसी तेल विवाद की वजह से विश्व दो बड़े लोकतंत्रों के बीच दरार पैदा नहीं होने देने चाहिए.

चीन को भी पीछे छोड़ सकता है भारत

हेली ने अपने लेख में लिखा की जिस तरह से भारत का उदय हो रहा है, वह जल्द ही चीन के प्रभाव को पीछे छोड़ सकता है. उन्होंने कहा कि सीधे शब्दों में कहे तो, भारत की शक्ति बढ़ने के साथ-साथ चीन की महत्वाकांक्षाएं भी कम होंगी. हेली ने ट्रंप प्रशासन से आग्रह किया कि ट्रंप और पीएम मोदी के बीच सीधी बातचीत हो ताकि दोनों देशों के बिगड़ रहे संबंधों को सुधारा जा सके. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो बीजिंग इस दरार का फायदा उठाएगा, जो अमेरिका के एक बहुत बड़ी गलती होगी.

हेली ने उन पुराने शब्दों को दोहराया, जो 1982 में व्हाइट हाउस में रोनाल्ड रीगन ने इंदिरा गांधी से कहे थे. उन्होंने कहा था कि अगर वाशिंगटन और नई दिल्ली कभी अपने अलग-अलग रास्ते अपना लेते हैं, लेकिन उनका लक्ष्य एक ही रहना चाहिए.

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