न्यूयॉर्क, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । पाकिस्तान को इस बात का मलाल है कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में एक भी गैर मुस्लिम का नाम नहीं है। उसका यह दर्द संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सत्र में उभरा। इस सत्र में आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
पाकिस्तान के जियो न्यूज चैनल की खबर के अनुसार पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र राजदूत असीम इफ्तिखार ने बुधवार को इस पर यूएनएससी का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने दक्षिणपंथी उग्रवाद और फासीवादी आंदोलन के उदय का जिक्र करते हुए कहा कि यह सूची इस्लाम और मुसलमानों को कलंकित करती है। वह इसकी निंदा करते हैं।
पाकिस्तान के दूत ने कहा, यह समझ से परे है। यह अस्वीकार्य भी है कि सुरक्षा परिषद की आतंकवाद सूची में हर नाम मुस्लिम है, जबकि अन्य जगहों पर आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी जांच से बच निकलते हैं। इफ्तिखार ने इस्लाम और मुसलमानों को कलंकित करने की प्रवृत्ति को समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह स्वीकार करना होगा कि दुनिया के कई देशों और क्षेत्रों में दक्षिणपंथी, अतिवादी और फासीवादी आंदोलनों का उदय हुआ है। इसके कारण आतंकवादी हिंसा बढ़ रही है।
इस राजनयिक ने कहा कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जा सकता और न ही जोड़ा जाना चाहिए।
इफ्तिखार ने कहा कि अफगानिस्तान की धरती का प्रयोग कर रहे आतंकवादी दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। कभी भी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूच आतंकवादी समूहों के अफगानिस्तान में शरण लेने पर ध्यान नहीं दिया गया। पाकिस्तान के लिए यह गंभीर खतरा है। लगभग 6,000 लड़ाकों वाला टीटीपी, अफगानिस्तान की धरती से संचालित होने वाला सबसे बड़ा संयुक्त राष्ट्र-घोषित आतंकवादी समूह है। इफ़्तिखार ने कहा, पाकिस्तान की सीमाओं के पास सुरक्षित पनाहगाहों के होने से मुल्क की सुरक्षा को सीधा खतरा है।
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(Udaipur Kiran) / मुकुंद