अहमदाबाद: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने भविष्य के लिए महत्वाकांक्षी योजनाओं का खुलासा करते हुए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। इसरो अगले 15 वर्षों में, यानी 2040 तक, 100 से अधिक सैटेलाइट्स लॉन्च करने की योजना बना रहा है। ये उपग्रह पृथ्वी की निगरानी, संचार और नेविगेशन जैसी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे और देश की तकनीकी क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
यह जानकारी इसरो के अहमदाबाद केंद्र के निदेशक नीलेश देसाई ने साझा की। उन्होंने इसरो के 'विजन 2047' का रोडमैप पेश करते हुए बताया कि अंतरिक्ष में आत्मनिर्भरता के लिए स्वदेशी तकनीक के उपयोग पर तेजी से ध्यान दिया जाएगा।
इसरो के प्रमुख वी. नारायणन के अनुसार, अंतरिक्ष एजेंसी अपनी लॉन्चिंग की गति को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। 100 से अधिक मिशनों के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर साल औसतन 7 से 8 मिशन लॉन्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है, जो देश को रणनीतिक और आर्थिक लाभ प्रदान करेगा। वर्तमान में, भारत में 350 से अधिक निजी अंतरिक्ष कंपनियां भी सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
ISRO ने 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। इस ऐतिहासिक मानव मिशन से पहले, ISRO चंद्रयान-8 तक की एक पूरी श्रृंखला को अंजाम देगा। इस क्रम में, चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशनों को 2027-28 तक लॉन्च करने की योजना है, जिनका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र कर उन्हें पृथ्वी पर लाना होगा। विशेष रूप से, चंद्रयान-5 मिशन जापान की अंतरिक्ष एजेंसी JAXA के साथ सहयोग में होगा। इन प्रारंभिक मिशनों के बाद, चंद्रयान-6, 7 और 8 को लॉन्च किया जाएगा, जो मानव मिशन के लिए आवश्यक तकनीकों का परीक्षण करेंगे और चांद की सतह की विस्तृत जानकारी जुटाएंगे।
योजना के अनुसार, लॉन्च होने वाले 100 से अधिक सैटेलाइट्स में से लगभग 80 उपग्रह पृथ्वी की निगरानी के लिए होंगे, विशेषकर भूमि से जुड़े प्रयोगों के लिए। शेष सैटेलाइट समुद्र और वायुमंडल के अध्ययन में सहायक होंगे। इसके अलावा, ISRO 16 ऐसे मिशन भी लॉन्च करेगा जो उसकी उन्नत तकनीक का प्रदर्शन करेंगे।