बथुआ, जिसे सब्जी, रायते और अन्य व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है, कई औषधीय गुणों से समृद्ध है। इसमें शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के संदर्भ में, आयुर्वेदिक अनुसंधानों के अनुसार, नियमित रूप से बथुआ का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम हो सकता है। इसमें पाए जाने वाले सेलेनियम और ओमेगा-3 तथा ओमेगा-6 फैटी एसिड कैंसर से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
यदि आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो बथुआ के 10 ग्राम बीजों को 200 मिलीलीटर पानी में उबालें। जब पानी 50 मिलीलीटर रह जाए, तो इसे गर्मागर्म पिएं। ऐसा एक महीने तक सुबह और शाम करने से दर्द में राहत मिलती है। इसके ताजे पत्तों को पीसकर हल्का गर्म करके दर्द वाले स्थान पर बांधने से भी आराम मिलता है।
बथुआ में आयरन और फोलिक एसिड की अच्छी मात्रा होती है। इसे सब्जी के रूप में खाने या 15-20 मिलीलीटर रस का सुबह-शाम सेवन करने से खून की कमी की समस्या दूर हो सकती है।
पीलिया के इलाज के लिए, 15 मिलीलीटर बथुआ का रस 30 मिलीलीटर गिलोय के रस के साथ 10 दिनों तक लेने से राहत मिलती है।
बवासीर के लिए, बथुआ के पंचांग (तना, जड़, पत्ते, फूल और बीज) को सुखाकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम चूर्ण को 15 दिनों तक सुबह-शाम बकरी के दूध के साथ लेने से समस्या में सुधार होता है।
अनियमित माहवारी के लिए, 10 ग्राम बीजों को 200 मिली पानी में उबालें और 50 मिली पानी बचने पर छानकर उसमें 2 ग्राम सौंठ मिलाकर गर्मागर्म पिएं। इससे अनियमित माहवारी और दर्द में राहत मिलती है।
बथुआ में क्षार की मात्रा होती है। पथरी की प्रारंभिक अवस्था में, इसके रस का 20 दिनों तक सेवन करने से पथरी टूटकर यूरिन के माध्यम से बाहर निकल सकती है।