Ganesh Ji Mudras: खड़े से लेकर लेटे हुए गणपति तक, जानिए गणेश जी की हर मुद्रा का मतलब
TV9 Bharatvarsh August 27, 2025 01:42 PM

Ganesh Ji Poses: भारत में हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस बार 27 अगस्त 2025, बुधवार से गणेश चतुर्थी की शुरुआत होगी. 10 दिनों तक चलने वाला यह पर्व गणपति बप्पा की कृपा और आनंद का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान भक्त अपने घरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं, पूजा करते हैं और फिर विसर्जन के साथ बप्पा को विदाई देते हैं. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता कहा जाता है. उनकी प्रतिमाओं में दिखाई देने हर वाली मुद्रा का अलग मतलब होता है, जीवन के गहरे संदेश देती हैं. आइए जानते हैं कि गणेश जी की कुछ प्रमुख मुद्राएं और उनका मतलब.

बैठे हुए गणेश (ध्यान और स्थिरता)

बैठे हुए गणेश का अर्थ है – मन और जीवन में स्थिरता. इसे “लक्ष्मी गणेश” भी कहते हैं, क्योंकि बैठे हुए गणपति घर में सुख-समृद्धि लाते हैं. घर में रखने के लिए गणेश जी की यह मुद्रा सबसे शुभ होती है.

खड़े हुए गणेश (उन्नति और कार्य सिद्धि)

खड़े हुए गणेश जी उत्साह और उन्नति का प्रतीक हैं. गणेश जी की इस मुद्रा को व्यवसाय और नए कार्य शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है. गणेश जी की इस मुद्रा की तस्वीर ऑफिस में लगानी चाहिए.

लेटे हुए गणेश (आराम और संतोष)

गणेश जी की लेटी हुई मुद्रा जीवन में संतोष और मानसिक शांति का संदेश देती है. यह मुद्रा सिखाती है कि मेहनत के बाद विश्राम भी उतना ही जरूरी है. गणेश जी की इस मुद्रा की तस्वीर ड्रॉइंग रूम या बेडरूम में लगानी चाहिए.

नृत्य करते हुए गणेश (आनंद और ऊर्जा)

नटराज स्वरूप की तरह नाचते हुए गणेश जी उल्लास और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक हैं. यह रूप जीवन में खुशियों और उत्सव के महत्व को दर्शाता है. गणेश जी की इस मुद्रा की तस्वीर को आप घर या ऑफिस में लगा सकते हैं.

बाल गणेश (निर्मलता और मासूमियत)

बाल स्वरूप में गणपति मासूमियत, सरलता और निश्छल भक्ति का प्रतीक हैं. बच्चे इस रूप से अधिक जुड़ाव महसूस करते हैं. गणेश जी की इस मुद्रा वाली तस्वीर को घर में बच्चों के कमरे में लगाना चाहिए.

मूषक पर विराजमान गणेश (विनम्रता और नियंत्रण)

गणपति का वाहन मूषक है. गणेश जी की मूषक पर सवार हुई मुद्रा का मतलब है कि बड़ा हो या छोटा, हर किसी का महत्व है. साथ ही, यह मुद्रा इच्छाओं पर नियंत्रण का भी प्रतीक है.

दाईं ओर सूंड वाले गणेश

दाईं सूंड वाले गणेश को “सिद्धि विनायक” कहा जाता है. यह रूप बहुत जाग्रत माना जाता है और इनकी पूजा सख्त नियमों के साथ करनी चाहिए. यह सफलता और कार्य सिद्धि का प्रतीक है.

बाईं ओर सूंड वाले गणेश

गणेश जी की बाईं सूंड वाली मुद्रा सबसे सामान्य और घर में स्थापित करने योग्य रूप मानी गई है. बाईं सूंड वाले गणेश जी सौम्यता, शांति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

अभय मुद्रा (निर्भयता का आशीर्वाद)

गणेश जी की हाथ ऊपर उठाकर आशीर्वाद देती हुई मुद्रा का मतलब है कि भक्त को किसी भी संकट से डरने की जरूरत नहीं है.

वरद मुद्रा (वरदान देने वाली)

गणेश जी की हथेली खुली और नीचे की ओर वाली मुद्रा का मतलब है कि बप्पा अपने भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं और दया बरसाते हैं.

ज्ञान मुद्रा (बुद्धि और विवेक)

गणेश जी का अंगूठा और तर्जनी को मिलाकर बनाई गई मुद्रा ध्यान, संतुलन और विवेक का प्रतीक माना जाती है.

आवाहन मुद्रा (आमंत्रण)

गणेश जी के दोनों हाथ जोड़कर अंगूठा अंदर मोड़ी हुई मुद्रा बप्पा को घर बुलाने और स्वागत करने की सबसे पवित्र मुद्रा माना जाती है.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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