भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य जितना उज्जवल दिखता है, लेकिन उतनी ही चुनौतियां भी सामने खड़ी हैं. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी.भार्गव ने हाल ही में स्पष्ट किया कि देश की इलेक्ट्रिक मोबिलिटी योजनाओं पर सबसे बड़ा खतरा कच्चे माल के आयात पर भारी निर्भरता है. विशेष रूप से लिथियम और रेयर अर्थ मैग्नेट जैसी सामग्रियां, जिनका बड़ा हिस्सा चीन जैसे सीमित सप्लायर देशों से आता है, निवेशकों और ऑटो कंपनियों दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है.
रेयर अर्थ मैग्नेट्सइसपर भार्गव का कहना है कि चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई पर लगाए गए प्रतिबंध एक चेतावनी संकेत हैं. उन्होंने कहा कि अगर वो स्वयं निवेशक होते तो बैटरी प्रोडक्शन संयंत्र लगाने से पहले इस जोखिम को गंभीरता से ध्यान में रखते हैं. क्योंकि कच्चे माल का आयात एक ही सप्लायर देश पर बेस्ड है, तो किसी भी मनमानी नीति बदलाव का सीधा असर भारतीय उद्योग पर पड़ेगा.
बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए निवेशमारुति सुजुकी के चेयरमैन आर.सी.भार्गव का मानना है कि ये बड़ी वजह है कि भारत में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए निवेश की स्पीड धीमी है. कंपनियां भारी निवेश से पीछे हट रही हैं क्योंकि वो खुद को सप्लायर देशों के निर्णयों से बचा नहीं पा रही हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि जब तक ऑप्शनल समाधान नहीं मिलता, तब तक निवेशक इतने बड़े पैमाने पर जोखिम क्यों उठाएंगे.
हाइब्रिड वाहनों के लिए बैटरी बनाना शुरूहालांकि, मारुति की मूल कंपनी सुजुकी तोशिबा और डेंसो के साथ मिलकर गुजरात में हाइब्रिड वाहनों के लिए बैटरी बनाना शुरू कर चुकी है. इन बैटरियों के लिए कच्चे माल की जरूरत कम है, इसलिए जोखिम इसमें सीमित है. मगर पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बड़े पैमाने पर बैटरी प्रोडक्शन की स्थिति फिलहाल अनिश्चित बनी हुई है.
पहली इलेक्ट्रिक कार ई-विटारामारुति सुजुकी जल्द ही अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार ई-विटारा का निर्यात शुरू करने जा रही है, जो 100 देशों में बेची जाएगी. भारत इस मॉडल के लिए एक ग्लोबल हब बनेगा, लेकिन ये इलेक्ट्रिक एसयूवी मार्केट में तुरंत उपलब्ध नहीं होगी. कारण साफ है बैटरी की ऊंची लागत. आयातित बैटरियों के कारण वाहन की कीमत इतनी बढ़ जाएगी कि यह घरेलू ग्राहकों के लिए आकर्षक नहीं रह जाएगी.