उत्तरकाशी, 26 अगस्त (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस दिग्गज नेता हरीश रावत ने धराली आपदा पीड़ित परिवारों को शीघ्र राहत के लिए सरकार और प्रशासन को सुझाव दिया।
धराली आपदा के बाद सोमवार देर रात उत्तरकाशी पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत मंगलवार को धराली जाना चा रहे थे लेकिन गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तरकाशी के नलूणा में भारी भूस्खलन से बंद होने के चलते रास्ते से वापस लौटें है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लोनिवि विश्राम गृह में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन को कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, ताकि प्रभावित परिवारों को शीघ्र राहत मिल सके और उनके जीवन को पुनः सामान्य बनाया जा सके।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि सरकार को धराली आपदा में दबे शवों को निकालने के लिए बड़ी से बड़ी मशीनों की एयरलिफ्ट कर प्रभावित क्षेत्र में भेजने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आपदा में दबे शवों को जल्द बाहर निकलने चाहिए, जिससे परिजन क्रिया कर्म कर सके।
उन्होंने जिलाधिकारी उत्तरकाशी से हर्षिल वैली के काश्तकारों के सेब की निकासी के लिए वार्ता करने का सुझाव दिया ताकि सेब की निकासी सुचारु रूप से हो सके और किसानों को नुकसान न झेलना पड़े।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आपदा पीड़ितों कृषि एवं होटल-होम स्टे संचालकों ने ऋण लिया होगा। सरकार को तत्काल ऋण को माफ करने और लोगों के रोजगार को पुनः स्थापित करने के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने की सिफारिश की गई।
इस दौरान उन्होंने धराली गांव का पुनर्वास के लिए ग्रामीणों से वार्तालाप कर उचित पुनर्वास योजना बनाने की बात कही। हरीश रावत ने सरकार से अपील की है कि इन सुझावों पर तुरंत अमल किया जाए, ताकि प्रभावित परिवारों को राहत मिल सके और उनका जीवन पुनः पटरी पर आ सके।
इस मौके पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनीष राणा, पूर्व राज्य मंत्री घनानंद नौटियाल, विजेंद्र नौटियाल, दर्शन लाल, शांति ठाकुर, पूर्व प्रमुख कनकपाल परमार, कमल सिंह रावत, दिनेश गौड़, शीशपाल पोखरियाल, पपेंद्र सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।
धामी मंत्री मंडल हुआ अनिश्चय का शिकार : हरदा
पूर्व मुख्यमंत्री हरदा ने कहा कि उत्तराखंड में आ रही आपदाओं में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ˈप्रे̮ज़्न्स् तो दिखाई दे रही लेकिन इतनी बड़ी आपदा में मंत्रियों की ˈप्रजेन्स दिखाई नहीं दे रही । उन्होंने कहा कि धामी मंत्री मंडल अनिश्चय का शिकार है जिसका असर राज्य की गवर्नेंस पर पड़ रहा ये राज्य के लिए चिंता का विषय भी है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी हेलीकॉप्टर से आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में पहुंच रहे लेकिन धामी जी के एक आद मंत्री पीछे से पैदल मार्ग से जातें तो उन्हें आपदा का दर्द मालूम होता। हरदा यही नहीं रूके उन्होंने धामी मंत्री मंडल को इतिहास में सबसे अक्षम मंत्री मंडल करार दिया।
(Udaipur Kiran) / चिरंजीव सेमवाल