क्या आप जानते हैं कहाँ हुआ था गणपति बप्पा का जन्म? जवाब कैलाश पर्वत नहीं है!
Newsindialive Hindi August 28, 2025 10:42 AM

हर साल हम सब गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े ही प्यार और धूमधाम से मनाते हैं। इसे हम गणपति बप्पा के जन्मदिन के तौर पर जानते हैं। पर क्या हमने कभी सोचा है कि हमारे प्यारे बप्पा का जन्म आखिर कहाँ हुआ था?ज़्यादातर लोग शायद कहेंगे, "कैलाश पर्वत पर"। लेकिन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,भगवान गणेश की जन्मभूमि कहीं और है,एक ऐसी खूबसूरत जगह जो आज भी धरती पर मौजूद है।लेकिन उस जगह के बारे में जानने से पहले,आइए सुनते हैं बप्पा के जन्म और उनके'प्रथम पूज्य'बनने की वो सबसे दिलचस्प कहानी।कहानी कुछ यूँ है कि...एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थीं। उन्हें द्वार पर एक ऐसे पहरेदार की ज़रूरत थी जो उनकी आज्ञा के बिना किसी को भी अंदर न आने दे। तब,उन्होंने अपने शरीर पर लगे हल्दी के उबटन से एक सुंदर बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए।इस तरह गणपति बप्पा का जन्म हुआ। माँ ने अपने पुत्र को आदेश दिया, "जब तक मैं स्नान करके न आऊं,किसी को भी अंदर मत आने देना।" बालक गणेश माँ की आज्ञा पाकर पूरी निष्ठा से द्वार पर पहरा देने लगे।कुछ देर बाद,स्वयं भगवान शिव वहां आए और अंदर जाने की कोशिश करने लगे। बालक गणेश ने उन्हें नहीं पहचाना और अपनी माँ की आज्ञा का पालन करते हुए उन्हें दरवाजे पर ही रोक दिया। भगवान शिव ने बहुत समझाया,लेकिन गणेश जी अपनी बात पर अड़े रहे। अपने ही घर में रोके जाने से भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने गुस्से में त्रिशूल से वार कर बालक गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया।जब माता पार्वती को यह पता चला,तो उनका दुःख और क्रोध की कोई सीमा न रही। उन्होंने पूरे ब्रह्मांड को नष्ट कर देने की चेतावनी दे डाली। तब भगवान शिव ने अपनी भूल सुधारते हुए एक हाथी के बच्चे का सिर लाकर गणेश जी के धड़ से जोड़ दिया और उन्हें फिर से जीवित कर दिया।उन्होंने गणेश को आशीर्वाद दिया कि आज के बाद हर शुभ काम की शुरुआत उन्हीं की पूजा से होगी। तभी से गणपति बप्पा'प्रथम पूज्य'कहलाए।तो कहाँ है बप्पा की असली जन्मभूमि?और जानते हैं यह पूरी घटना कहाँ हुई थी?पौराणिक मान्यताओं के अनुसार,यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मौजूदडोडीताल झीलके पास हुआ था। यही वह पवित्र स्थान है जिसे भगवान गणेश की जन्मस्थली माना जाता है। आज भी वहां एक मंदिर है,जहाँ भगवान गणेश अपनी माता पार्वती के साथ विराजमान हैं।
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