गोरखपुर में तटबंधों के किनारे बाढ़ग्रस्त इलाकों में बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ अब बड़ी कार्रवाई की तैयारी है, जो ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख़्त पर प्रशासनिक रोक के बावजूद जारी हैं। ज़िला प्रशासन और गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की संयुक्त टीम बुधवार से ध्वस्तीकरण अभियान शुरू कर सकती है। लोगों की जान जोखिम में डालने वाले इन ख़तरनाक निर्माणों का मामला राज्य सरकार तक पहुँचने के बाद प्रशासन ने यह सख़्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
ज़िलाधिकारी दीपक मीणा ने जीडीए को ऐसे सभी अवैध निर्माणों की पहचान कर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के बाद जीडीए की एक टीम ने मंगलवार को बाढ़ग्रस्त इलाकों का सर्वेक्षण किया और कई अवैध निर्माणों को चिह्नित किया।
गौरतलब है कि लगभग छह महीने पहले पूर्व डीएम कृष्णा करुणेश ने मलौनी और हर्बर्ट तटबंधों के किनारे बसे 24 गाँवों में ज़मीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी। यह नियम भी बनाया गया था कि जीडीए या स्थानीय ग्राम सभा से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना कोई भी निर्माण नहीं हो सकता। चूँकि यह बाढ़-जोखिम क्षेत्र है, इसलिए जीडीए इस क्षेत्र के लिए किसी भी भवन योजना को मंजूरी नहीं देता है। इन प्रतिबंधों के बावजूद, जीडीए के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इन क्षेत्रों में पेट्रोल पंप, क्लीनिक, दुकानें, मकान और अन्य व्यावसायिक इमारतें जैसे कई ढाँचे अवैध रूप से बनाए गए हैं।
जीडीए सचिव पुष्पराज सिंह ने बताया कि यह अभियान बुधवार से शुरू होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अवैध ढाँचों के मालिकों को पहले ही नोटिस भेजे जा चुके हैं। अब, बिना स्वीकृत मानचित्र या लेआउट के निर्मित किसी भी भवन को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
मलोनी तटबंध के निकट प्रभावित गाँव: मंझरिया बिस्टौल, चकरा स्वयं, चकरा दोईम, खिरवनिया, सेमरा देवी प्रसाद (आंशिक), झरवा (आंशिक), महेवा एम. (आंशिक), कठवतिया कठौर (आंशिक), लहसड़ी (आंशिक), सेंदुली-बेंदुली (आंशिक), बड़ागो (आंशिक), चकरा अव्वल, महेवा एतमाली।