Maa Sita Temple in Sitamarhi: मां सीता की जन्मभूमि पहुंचे राहुल गांधी, जानें क्यों खास है सीतामढ़ी का जानकी मंदिर
TV9 Bharatvarsh August 28, 2025 08:42 PM

Maa Sita Temple in Sitamarhi: सीतामढ़ी का जानकी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का ऐसा संगम है जहां हर भक्त खुद को जनकनंदिनी सीता की छांव में पाता है. जहां-जहां रामकथा गूंजी है, वहां-वहां माता सीता की महिमा का वर्णन भी मिलता है. उन्हीं का जन्मस्थान है सीतामढ़ी का जानकी मंदिर, जो लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का आधार है. गृहस्थ जीवन की खुशहाली से लेकर संतान प्राप्ति तक, भक्त मानते हैं कि मां जानकी के चरणों में हर मनोकामना पूरी होती है.

सीतामढ़ी का जानकी मंदिर न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश और विदेश में आस्था का केंद्र माना जाता है. मान्यता है कि यही माता सीता की जन्मभूमि है. कहा जाता है कि जब राजा जनक खेत जोत रहे थे, तो हल की नोक से मिट्टी का एक घड़ा बाहर निकला. उसी घड़े में बालिका स्वरूप में माता सीता प्रकट हुईं. इसी वजह से उन्हें भूमिजा और जनकनंदिनी कहा जाता है.

विवाह और संतान सुख की मान्यता

भक्तों का विश्वास है कि यहां दर्शन करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है और संतान सुख की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि नवविवाहित दंपत्ति विशेष रूप से आशीर्वाद लेने के लिए यहां पहुंचते हैं.

स्थापत्य की शाही झलक

अठारहवीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर अपनी राजस्थानी और कोकण शैली की झलक से भक्तों को आकर्षित करता है. लगभग 5060 मीटर ऊँचा यह भव्य मंदिर किसी शाही महल जैसा नजर आता है, जिसमें 60 से अधिक कक्ष बने हुए हैं.

पर्व और भव्य उत्सव

रामनवमी, विवाह पंचमी और सीता जयंती पर यहां लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं. खासकर विवाह पंचमी पर राम-सीता विवाह की भव्य झाँकी भक्तों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण होती है.

#WATCH | Bihar: Congress MP & LoP Lok Sabha, Rahul Gandhi, RJD leader Tejashwi Yadav and other leaders offer prayers at Janki Mandir in Sitamarhi pic.twitter.com/knzjiLaX5o

— ANI (@ANI)

आस्था का वैश्विक केंद्र

भारत और नेपाल समेत कई हिस्सों से भक्त यहां पहुंचते हैं. यही वजह है कि इस मंदिर को जानकी जन्मभूमि और सीता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.

राजनीति और मंदिर का नया अध्याय

सीतामढ़ी का यह मंदिर हाल ही में सुर्खियों में आया था, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 8 अगस्त 2025 को यहां शिलान्यास कार्यक्रम में हिस्सा लिया. अब राहुल गांधी के आगमन से यहां सिर्फ धार्मिक आस्था ही नहीं बल्कि सियासी चर्चा का भी नया दौर शुरू हो गया है.

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