यूपी की राजधानी लखनऊ और औद्योगिक नगरी कानपुर के बीच सफर अब तेज और आरामदायक होने जा रहा है. सिर्फ 1 घंटे में यह दूरी तय की जा सकेगी. इसे लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे 15 दिसंबर तक पूरी तरह हो जाएगा. NHAI से इस संबंध में जिलाधिकारी विशाख जी की मौजूदगी में रक्षामंत्री के सलाहकार ने रिपोर्ट मांगी थी. जवाब में एनएचएआई की ओर से बताया गया कि कुछ कार्य बचे हैं जो दिसम्बर के पहले से दूसरे सप्ताह के लिए पूरे हो जाएंगे. इसके बाद लोकार्पण के लिए तैयारी की जा सकती है.
जानकारी के मुताबिक, कानपुर एक्सप्रेसवे के ज्यादातर हिस्सों का निर्माण हो गया है या अंतिम चरण में है. लखनऊ बॉर्डर में स्कूटर इंडिया के पास बिजली विभाग की लो टेंशन लाइन अभी हटनी है. इसे हटाने का कार्य 14 सितम्बर से शुरू हो जाएगा. मोनोपाल लगाने का कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा कुछ पैच में अंतिम चरण के कार्य बाकी हैं जो दिसंबर तक पूरे हो जाएंगे. इसके बाद 15 दिसंबर से पहले ट्रायल रन में पुख्ता कर लिया जाएगा कि कहीं कोई कसर बची तो नहीं है.
एक्सप्रेसवे की क्या है खासियत?
उम्मीद है कि दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले सप्ताह तक कानपुर एक्सप्रेसवे पर वाहन फर्राटा भरने लगेंगे. कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे का उद्देश्य उत्तर प्रदेश की दो प्रमुख औद्योगिक और प्रशासनिक राजधानियों के बीच यात्रा को तेज और आसान बनाना है. यह एनएसच 27 पर निर्माणाधीन है. परियोजना की लागत करीब ₹4,700 करोड़ रुपये है. एक्सप्रेसवे की कुल लम्बाई 63 किलोमीटर है जो शहीद पथ से शुरू होकर कानपुर की रिंगरोड तक पहुंचेगा.
8 लेन तक हो सकेगा विस्तार
फिलहाल यह एक्सप्रेसवे यह छह लेन का है जिसे इस तरह से बनाया गया है कि भविष्य में आठ लेन तक विस्तार किया जा सके. यह पूरी तरह से एक्सेस-कंट्रोल्ड होगा, यानी इस पर कोई भी वाहन कहीं से भी प्रवेश नहीं कर पाएगा. एनएचएआई की ओर से यह भी बताया गया कि अयोध्या रोड पर बीबीडी के सामने कट और ब्लैक स्पॉट की समस्या का समाधान किया जा रहा है. यहां दो मोटरेबल अंडरपास बनाए जाएंगे. इससे न सिर्फ पैदल चलने वाले बल्कि छोटे वाहन भी एक से दूसरी ओर जा सकेंगे. मौजूदा समय इस बिंदु पर अक्सर जाम की स्थिति रहती है. साथ ही सड़क पार करना बड़ा जोखिम है. अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती हैं.