भारत सरकार ने लंबे इंतजार के बाद आखिरकार जीएसटी सुधारों का ऐलान कर दिया है. इन बदलावों का मकसद लोगों की जेब में ज्यादा पैसा छोड़ना और मार्केट में खपत को बढ़ावा देना है. ऑटोमोबाइल सेक्टर ने इस फैसले का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि ये कदम खासतौर पर त्योहारी सीजन में मांग को नई उड़ाने देगा.
छोटे वाहनों और ईवी पर राहतनए स्लैब के मुताबिक, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर पहले की तरह ही 5 प्रतिशत जीएसटी लगेगा. वहीं छोटी कार सेगमेंट यानी 4 मीटर तक की लंबाई और 1200 सीसी इंजन यानी पेट्रोल -डीजल वाली कारों पर अब सिर्फ 18 प्रतिशत ही टैक्स देना होगा. ये पहले के 28 प्रतिशत से सीधे 10 प्रतिशत कम हो गया है. इस राहत से छोटी कार खरीदने वालों को फायदा मिलेगा और कंपनियों को बिक्री बढ़ाने का अवसर भी मिलेगा.
सरकार ने सिर्फ छोटी कारों का ही ख्याल नहीं रखा है बल्कि बड़ी और लग्जरी कारों का भी ध्यान रखा है. सरकार ने प्रीमियम एसयूवी, हाई-एंड ईवी और लग्जरी कारों पर टैक्स को 40 प्रतिशत कर दिया है. पहले कार पर टैक्स के साथ सेस भी लगता था अब सरकार ने सेस को हटा दिया है. जिसके बाद से अब आप बड़ी और स्टाइलिश कार खरीदने का सपना पूरा कर सकते हैं.
डीलरों की बुक्स में पड़े सेस बैलेंस का निपटारा कैसे होगाजीएसटी बैठक में एक अहम फैसला लिया गया है. इसमें कंपनसेशन सेस को खत्म कर दिया गया है. ये कदम इंडस्ट्री के लिए बेहद व्यावहारिक माना जा रहा है. हालांकि, अब भी कुछ बारीक पहलुओं पर स्पष्टीकरण जरूरी है ताकि बाद में कोई दिक्कत न हो. डीलरों के लिए एक राहत ये भी है कि उन्हें पुराने स्टॉक पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा. इससे वो त्योहारी सीजन से पहले अच्छी खासी इन्वेंट्री बना पाएंगे. हालांकि, FADA अध्यक्ष सी.एस. विनेश्वर ने मांग की है कि सरकार जल्द स्पष्ट करे कि डीलरों की बुक्स में पड़े सेस बैलेंस का निपटारा कैसे होगा.
त्योहारी सीजन में मिलेगी डिमांड को रफ्तारनए रेट्स 22 सितंबर से लागू होंगे, ठीक नवरात्रि की शुरुआत से. ये समय भारत में गाड़ियों की बिक्री के लिए बेहद अहम होता है. नवरात्रि से लेकर दशहरा, दिवाली तक मार्केट में खरीदारी का माहौल रहता है. इसलिए इंडस्ट्री को पूरी उम्मीद है कि नए जीएसटी रेट्स का फायदा बिक्री में साफ दिखाई देगा.
दोपहिया वाहनों पर असरनए नियमों के तहत 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकिलों पर टैक्स में 9% की बढ़ोतरी हुई है. इससे बजाज, ट्रायम्फ और हीरो-हार्ले जैसी कंपनियों को अपनी रणनीतियों पर फिर से विचार करना होगा. इनका मुकाबला रॉयल एनफील्ड से है, इसलिए अब कीमत और प्रोडक्ट पोजिशनिंग में बदलाव तय है.
राज्यों की चिंता और संभावित चुनौतियांहालांकि केंद्र सरकार ने राहत दी है, लेकिन कई राज्यों को राजस्व घाटे की चिंता सता रही है. संभावना है कि कुछ राज्य व्हीकल रजिस्ट्रेशन चार्जेस बढ़ाकर अपनी भरपाई करें, जिससे ग्राहकों के लिए लागत फिर बढ़ सकती है.
EY इंडिया के ऑटोमोटिव टैक्स लीडर सौरभ अग्रवाल का कहना है कि कंपनियों को अब राज्यों के साथ फिर से बातचीत करनी होगी. क्योंकि कई राज्य इंसेंटिव और सब्सिडी सीधे जीएसटी दरों से जुड़े हैं. ऐसे में लागत और क्लॉबैक पीरियड को लेकर नई स्थिति बन सकती है.