जगर बांध पर चादर चलने के बाद 28 वर्षों के अंतराल के बाद जगर नदी फिर से जीवंत हो गई है। इस खगोलीय और प्राकृतिक घटनाक्रम ने क्षेत्र के लोगों में खुशी और उत्साह का माहौल पैदा कर दिया है।
स्थानीय लोग बांध और नदी के पानी को देख कर आनंदित हैं। जलस्तर लबालब भरा हुआ है और लोग इसे आस्था और समृद्धि का प्रतीक मानते हुए पूजा-अर्चना कर रहे हैं। नदी के पास कुछ लोगों ने आचमन और धार्मिक अनुष्ठान भी किए। इस अवसर पर ग्रामीणों ने परिवार और बच्चों के साथ नदी के किनारे उत्सव का माहौल बनाया।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि इस वर्ष मानसून अच्छी तरह सक्रिय रहा और बांध पर पानी की भरपूर आवक हुई। जलाशय में पानी का यह स्तर न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि क्षेत्र की कृषि और पानी की उपलब्धता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि 28 वर्षों बाद नदी का जीवंत होना सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी उत्सव का अवसर है। बांध के जल में पूजा और आचमन का सिलसिला क्षेत्रवासियों की परंपरा का हिस्सा बन गया है। उन्होंने कहा कि नदी और बांध का पानी जीवन और हरियाली के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जलाशयों और बांधों का यह स्तर वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों के महत्व को दर्शाता है। जलभराव और नदी का बहाव कृषि, जल आपूर्ति और स्थानीय जीव-जंतुओं के लिए लाभकारी साबित होता है।
जगर बांध और नदी के पुनर्जीवित होने से क्षेत्र में पर्यावरणीय संतुलन और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रशासन ने कहा कि लोग नदी और बांध के पास सतर्कता बरतें और सुरक्षा के उपाय अपनाएं, ताकि किसी प्रकार का दुर्घटना न हो।
इस वर्ष जगर नदी के पुनर्जीवित होने और स्थानीय उत्साह ने यह साबित कर दिया है कि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और पानी की महत्ता कितनी अहम है। बांध और नदी का जल केवल जीवन का स्रोत नहीं, बल्कि क्षेत्रवासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक आस्था का भी प्रतीक है।