भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक झटकों का अल्पकालिक प्रभाव
वर्तमान में भारत आर्थिक मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसमें अमेरिका द्वारा लगाए गए हालिया टैरिफ शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने जीएसटी दरों में बदलाव का निर्णय लिया है, जिससे अर्थव्यवस्था को नई दिशा और गति मिलेगी। वैश्विक आर्थिक संस्थाएं इस बात को लेकर आशावान हैं कि भारत इन चुनौतियों का सामना कर लेगा।
एसएंडपी ग्लोबल इंडिया रिसर्च की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक झटकों का भारत की विकास दर पर अल्पकालिक दबाव है, लेकिन दीर्घकालिक वृद्धि की संभावनाएं मजबूत हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत ने बुनियादी ढांचे और प्रक्रियाओं में सुधार के माध्यम से अपनी स्थिति को मजबूत किया है, जिससे यह विकसित देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत वैश्विक व्यापार में अपनी भागीदारी को बढ़ावा देगा, जिससे आर्थिक वृद्धि, पूंजी आकर्षण और रोजगार सृजन के अवसर बढ़ेंगे। इसके लिए केंद्र, राज्य और नौकरशाही स्तर पर सुधारों की आवश्यकता है, ताकि एक संगठित प्रणाली का निर्माण किया जा सके।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास कर रही है और आगे भी बढ़ती रहेगी। उन्होंने वैश्विक व्यापार में भारत के मजबूत प्रदर्शन को रेखांकित करते हुए कहा कि कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर चर्चा चल रही है। मंत्री ने विश्वास जताया कि भारत 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, जो दर्शाता है कि भारत व्यापार के लिए एक उपयुक्त स्थान है।