GST 2.0: 22 सितंबर से लागू होंगी नई दरें, सैलून से जिम तक ये होगा सस्ता और महंगा
TV9 Bharatvarsh September 21, 2025 07:42 PM

22 सितंबर से जीएसटी (GST) की नई दरें लागू होने जा रही हैं. इस बदलाव से शहरी परिवारों के महीनेभर का बजट बदल जाएगा. कई चीज़ें और सेवाएं सस्ती होंगी, तो कुछ पर खर्च बढ़ेगा. आइए जानते हैं जीएसटी 2.0 से आपके रोजमर्रा के जीवन पर क्या-क्या असर पड़ेगा. आइए जानते हैं.

ज़्यादातर खर्च 5% स्लैब में

फिक्की (FICCI) और थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, अब शहरी परिवारों के कुल खर्च का 66% हिस्सा उन चीज़ों और सेवाओं पर जाएगा जिन पर या तो 0% या सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा. अभी ये हिस्सा करीब 50% है.

  • 0% स्लैब पर खर्च 32.3% से बढ़कर 32.9% होगा.
  • 5% स्लैब में खर्च का हिस्सा 18.2% से बढ़कर 33.3% हो जाएगा.
  • 12% स्लैब पूरी तरह खत्म कर दिया गया है.
  • 18% स्लैब का हिस्सा 16.9% से घटकर 14.1% होगा.
  • 28% और उससे ज्यादा टैक्स वाली चीज़ों का हिस्सा घटकर 0.2% रह जाएगा.
सैलून, जिम और योगा अब होंगे सस्ते

सबसे बड़ी राहत रोज़मर्रा की सेवाओं पर मिलेगी. अब सैलून, स्पा, जिम और योगा जैसी सेवाओं पर 18% की जगह सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा. उदाहरण के तौर पर, अगर किसी का सैलून बिल 2,000 रुपए है तो अब उस पर 100 रुपए टैक्स लगेगा, जबकि पहले 360 रुपए देना पड़ता था. हालांकि, बिज़नेस वालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा.

ज़रूरी सामान पर भी राहत

साबुन, शैंपू, शेविंग क्रीम, टूथपेस्ट, टूथब्रश, डेंटल फ्लॉस और फेस पाउडर जैसी ज़रूरी चीज़ें अब 5% स्लैब में आ गई हैं. पर्चे वाले चश्मों पर भी टैक्स घटकर सिर्फ 5% रह गया है. साइकिल और उसके पार्ट्स पर अब 12% की बजाय 5% जीएसटी लगेगा. हालांकि, माउथवॉश अभी इस बदलाव में शामिल नहीं है.

फूड डिलीवरी पर बढ़ेगा खर्च

ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने वालों को झटका लगेगा. 22 सितंबर से ज़ोमैटो, स्विगी और मैजिकपिन जैसी ऐप्स पर डिलीवरी चार्ज पर 18% जीएसटी लगेगा. इससे हर ऑर्डर पर 2 से 2.6 रुपये तक का अतिरिक्त खर्च आएगा. त्योहारों के मौसम में बार-बार ऑर्डर करने वालों के लिए यह असर साफ दिखाई देगा. नई जीएसटी दरों से शहरी परिवारों को पर्सनल केयर और ज़रूरी सामान में बचत होगी. सैलून, जिम और योगा जैसी सेवाओं पर भी राहत मिलेगी. लेकिन, अगर आप बार-बार ऑनलाइन खाना मंगाते हैं तो डिलीवरी चार्ज पहले से ज्यादा चुकाना पड़ेगा.

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