नवरात्रि का पहला क़दम: आज उस 'पहाड़ की बेटी' को पूजने का दिन है जो हमें मज़बूती से जीना सिखाती है

घर में एक नई पवित्रता,हवा में एक नई ऊर्जा,और मन में एक नई उम्मीद... यह संकेत है कि आज से शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा पर्व,शारदीय नवरात्रि,शुरू हो गया है. यह सिर्फ नौ दिनों का उपवास नहीं,बल्कि माँ के नौ रूपों से मिलने,उन्हें समझने और उनकी शक्ति का एक कण अपने भीतर महसूस करने का त्योहार है. इस पवित्र यात्रा का पहला दिन,पहली पूजा,और पहली सीख आती हैमाँ शैलपुत्रीके स्वरूप से.क्यों ख़ास है माँ का यह पहला रूप?"शैल" का मतलब होता है पहाड़ या चट्टान,और "पुत्री" का अर्थ है बेटी. माँ शैलपुटी पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं. सफ़ेद वस्त्र पहने,बैल (नंदी) पर सवार,एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल धारण किए हुए माँ का यह रूप बेहद शांत और सौम्य है. लेकिन उनकी यह शांति हमें जीवन का सबसे बड़ा सबक सिखाती है - स्थिरता और दृढ़ता का.उनकी कहानी भी हमें यही सिखाती है. अपने पिछले जन्म में सती के रूप में पति शिव का अपमान न सह पाने के कारण उन्होंने आत्मदाह कर लिया था. अगले जन्म में,उन्होंने पार्वती के रूप में जन्म लिया और अपने लक्ष्य,यानी भगवान शिव को दोबारा पाने के लिए,उन्होंने किसी राजकुमारी की तरह जीवन नहीं बिताया,बल्कि एक तपस्वी की तरह कठोर तपस्या की. उनकी यही चट्टान जैसी दृढ़ता और अटूट संकल्प उन्हें'शैलपुत्री'बनाता है. जब हम पहले दिन उनकी पूजा करते हैं,तो हम असल में अपने जीवन की नींव को मज़बूत करने की प्रार्थना करते हैं. हम माँ से मांगते हैं कि हमें भी ऐसी ही हिम्मत और स्थिरता दें कि ज़िंदगी का कोई भी तूफ़ान हमें हिला न सके.पूजा का पहला और सबसे ज़रूरी क़दम: घटस्थापनानवरात्रि की पूजा की आत्माघटस्थापनायाकलश स्थापनामें बसती है. यह हमारे घर में नौ दिनों के लिए माँ की शक्ति और उपस्थिति का प्रतीक होता है. मान्यता है कि इस कलश में सभी देवी-देवता और तीर्थ वास करते हैं. विधि-विधान से कलश स्थापना करने से घर में सुख,शांति और समृद्धि का वास होता है.माँ को कैसे करें प्रसन्न?सफ़ेद रंग है प्रिय:माँ शैलपुत्री को सफ़ेद रंग बेहद प्रिय है. पूजा करते समय उन्हें सफ़ेद वस्त्र और सफ़ेद फूल (ख़ासकर चमेली) अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है.भोग में लगाएं यह एक चीज़:माँ को गाय का शुद्ध घी या उससे बनी मिठाई का भोग लगाना सबसे उत्तम माना जाता है. ऐसा करने से माँ आरोग्य,यानी अच्छी सेहत का आशीर्वाद देती हैं और भक्त को हर बीमारी से दूर रखती हैं.नवरात्रि का यह पहला दिन सिर्फ एकritualनहीं,बल्कि अपने अंदर की शक्ति को पहचानने का दिन है. तो आज जब आप माँ के सामने सिर झुकाएं,तो उनसे अपने लिए चट्टान जैसी हिम्मत और इरादों में हिमालय जैसी स्थिरता ज़रूर मांगें.