उत्तर प्रदेश के बिजनौर मे वन विभाग के एक्शन मोड में आते ही तेंदुए पिजरों में फंसने लगे हैं. पिछले तीन दिनों में चार तेंदुए वन विभाग द्वारा जगह-जगह पर लगाए गए पिजरों में कैद हो चुके हैं. यूपी के कई जिलो के डीएफओ बिजनौर में ऑपरेशन तेंदुआ कंट्रोल चला रहे हैं. आपरेशन कंट्रोल लैपर्डस में कानपुर से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट डॉक्टर, ट्रैंकुलाइजेशन एक्सपर्ट, पीलीभीत टाइगर रिजर्व से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और बिजनौर वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट यूनिट शामिल है.
चीफ कंजरवेटर फोरेस्ट मुरादाबाद रमेश चंद्रा ने बताया कि डीएफओ सम्भल, डीएफओ अमरोहा और डीएफओ रामपुर, बिजनौर और नजीबाबाद के चार एसडीओ और करीब सौ वनकर्मियों के साथ ऑपरेशन लेपर्ड कंट्रोल के तहत कंदरावाली, नयागांव और इस्सेपुर में पिंजरे लगवा कर तेंदुओं का रेस्क्यू किया जा रहा है. तीन थर्मल ड्रोन कैमरों और ट्रैंकुलाइंजिंग टीमों का प्रयोग करके तेदुओं का मूवमेंट चैक कर लोकेशन लेने के बाद आसपास के इलाके में तीन पिंजरे लगा कर उनमें बकरे बांध कर छोड़े गए थे. जिनकी गंध के बाद तेंदुए शिकार को आए और फिर पिंजरों में फंस गए.
15 दिन में ली थी 4 जानेंइसमें सबसे ज्यादा सुकून की बात ये है कि इससे पुरे गांव के पास वह आदमखोर तेंदुआ भी कैद हो चुका है जिसने पंद्रह दिनों में चार लोगों को मार दिया था. जिससे स्थानीय निवासियों के साथ साथ बिजनौर वन विभाग को भी राहत की सांस आई है. इस दस साल के तेंदुए के केनाइन नुकीले दांत घिस चुके हैं और वह जंगली जीवों के शिकार करने लायक नहीं रहे. संभवतः इसी वजह से वह इंसानों पर हमला करके उन्हें अपना शिकार बना रहा था.
पकड़ा गया आदमखोर तेंदुआइस आदमखोर का वजन 80 किलो है. इस आदमखोर तेंदुए को कानपुर चिड़ियाघर में भेजा गया है. इसके अलावा कौडिया रेंज के गांव महावतपुर में लगे पिंजरे में एक व्यस्क तेदूंआ भी फंसा है. इन सभी तेंदुओं को अलग-अलग चिडियाघरों में ले जाकर छोड़ा जा रहा है. बिजनौर फोरेस्ट एसडीओ ज्ञान सिंह ने बताया कि अब तक एक सो बारह तेंदुओं को पिजरों के माध्यम से रेस्क्यू कर अलग-अलग जंगलों, चिडियाघरों में छोड़ा जा चुका है.