
नवरात्रि का समय मां दुर्गा की भक्ति और शक्ति की उपासना का होता है। इस दौरान भक्तजन देवी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करते हैं और उनके मंदिरों में दर्शन के लिए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवी के51शक्तिपीठों का क्या रहस्य है और ये कैसे बने?कैसे हुई शक्तिपीठों की स्थापना?पौराणिक कथाओं के अनुसार,देवी सती ने अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में पति भगवान शिव का अपमान सहन न कर पाने के कारण खुद को यज्ञ की अग्नि में समर्पित कर दिया था। इस घटना से भगवान शिव इतने क्रोधित और दुखी हुए कि उन्होंने देवी सती के पार्थिव शरीर को लेकर तांडव करना शुरू कर दिया।सृष्टि को इस विनाश से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के51टुकड़े कर दिए। ये टुकड़े धरती पर जहां-जहां गिरे,वहां-वहां एक शक्तिपीठ की स्थापना हुई। आज ये सभी51शक्तिपीठ हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक हैं,जहां देवी की पूजा पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है।देश-विदेश में फैले हैं ये शक्तिपीठये51शक्तिपीठ सिर्फ भारत में ही नहीं,बल्कि पाकिस्तान,बांग्लादेश,नेपाल,तिब्बत और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में भी स्थित हैं। हर शक्तिपीठ में देवी के एक अलग स्वरूप की पूजा होती है और वहां उनके साथ भैरव भी विराजमान हैं।नवरात्रि के दिनों में इन शक्तिपीठों का महत्व और भी बढ़ जाता है। माना जाता है कि इन नौ दिनों में यहां की गई पूजा और दर्शन से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है और उन्हें देवी का विशेष आशीर्वाद मिलता है।अगर आप इस नवरात्रि किसी तीर्थ यात्रा की योजना बना रहे हैं,तो इन शक्तिपीठों के दर्शन करना आपके लिए एक अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव हो सकता है।