बिहार के पटना में पुराने आलू में केमिकल मिलाकर गेरुआ मिट्टी से नया बनाकर बेचा जा रहा था. खाद्य सुरक्षा प्रशासन (Food Safety Administration) ने ऐसे आलुओं की बड़ी खेप जब्त की है. खाद्य सुरक्षा प्रशासन ने मीठापुर और मीना बाजार मंडी में छापेमारी कर केमिकल वाले आलू की खेप जब्त की. छापेमारी में सामने आया कि ये लोग पुराने आलू को गेरुआ मिट्टी और केमिकल के जरिए नया जैसा बना देते थे, जिससे इन आलूओं को खाने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर खतरा पैदा हो सकता है.
फूड सेफ्टी ऑफिसर अजय कुमार ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि छत्तीसगढ़ से हर रोज ट्रकों से सुबह-सुबह आलू मंगाए जाते थे. इसके बाद स्थानीय व्यापारी सुबह 9 बजे इन्हें मंडी में खरीदते थे. फिर वह इन आलूओं को अलग-अलग मोहल्ले में बेच देते थे. फूड सेफ्टी ऑफिसर अजय कुमार के नेतृत्व में ही ये छापेमारी की गई, जिसमें करीब 2 ट्रक आलू जब्त किए गए हैं.
कैसे होती हैं केमिकल वाले आलू की पहचान?छापेमारी में जब्त किए गए आलू को जांच के लिए लैब भेजा गया है. ये आलू बाकी नॉर्मल आलुओं से अलग होते हैं. इनमें से नेचुरल खुशबू नहीं, बल्कि केमिकल की गंध आती है. इन आलुओं की पहचान भी की जा सकती है. ये आलू पानी में डूबते नहीं है. बल्कि, ऊपर ही तैरते रहते हैं. जबकि असली आलू पानी में डूब जाते हैं. आमतौर पर आलू एक हफ्ते तक स्टोर किए जा सकते हैं, लेकिन केमिकल से नए किए गए ये आलू दो दिन में ही खराब होने लगते हैं. इसके साथ ही जैसे ही ये नॉर्मल आलुओं से ज्यादा चमकदार होते हैं.
आधा दर्जन से ज्यादा व्यापारी फरारजब फूड सेफ्टी अधिकारी की टीम मौके पर छापेमारी करने पहुंची तो इससे पहले ही आधा दर्जन से ज्यादा व्यापारी तुरंत फरार हो गए, जिनकी तलाश शुरू कर दी गई है. बताया जा रहा है कि ये व्यापारी 20 से 25 रुपये किलो में आलू लेकर 70 से 75 रुपये किलो में इन आलुओं को बेच रहे थे. एक्सपर्ट्स के मुताबिक इन आलुओं का इस्तेमाल इनमें मिले हुए केमिकल लीवर और किडनी के लिए नुकसानदायक हो सकता है. अगर इन आलुओं का लगातार सेवन किया जाए तो इससे कब्ज, सूजन, भूख न लगने जैसी परेशानियां हो सकती हैं.