Mangal Dosh: लव मैरेज में आए बाधा तो मंगलवार को करें ये उपाय, मंगल ग्रह की बरसेगी कृपा
TV9 Bharatvarsh October 14, 2025 02:42 PM

Mangal Dosh Remedies: मंगलवार का दिन हनुमानजी को समर्पित होता है. वह अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं और उनके ऊपर कोई कष्ट आए तो वह क्षण भर में हर लेते हैं. अगर किसी के प्रेम विवाह में अड़चन आ रही है तो उसकी कुंडली में मंगल दोष हो सकता है. ज्योतिषियों की मानें तो मंगल दोष ज्योतिष में एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में मंगल ग्रह स्थित होता है. इस दोष के कारण विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में तनाव जैसी परेशानियां आ सकती हैं.

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पांडेय के अनुसार, मांगलिक व्यक्ति का विवाह मांगलिक लड़की से ही होनी चाहिए. हालांकि इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का विवाह सुखी नहीं हो सकता है. माना जाता है कि मंगल दोष के चलते ही विवाह में विलंब हो सकता है या फिर वैवाहिक जीवन में कलह हो सकती है. इस तरह की समस्या के लिए मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करनी चाहिए.

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, विवाहा या प्रेम विवाह में बाधा होने पर मंगलवार को हनुमानजी की विधिवत पूजा करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें. सिंदूर व चमेली के तेल का चोला चढ़ाएं. इसके अतिरिक्त लाल मसूर की दाल और गुड़ का दान करें. लाल रंग की गाय को गुड़-रोटी खिलानी चाहिए, जिससे मंगल ग्रह की कृपा बरसेगी. मंगल दोष के निवारण के लिए कुंभ विवाह या अर्क विवाह कराना भी एक प्रभावी उपाय माना जाता है. बड़ी बहन या बड़े भाई की सेवा और सम्मान करने से भी मंगल ग्रह शुभ फल देता है. साथ ही विधिवत पूजा करने के बाद हनुमानजी की आरती जरूर करनी चाहिए.

हनुमानजी की आरती (Hanuman Ji Ki Aarti)

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।

बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।

कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।

जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

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