रूस ने अस्पताल पर बरसाए बम, अब ज़ेलेंस्की मांगेंगे ट्रंप से 'ब्रह्मास्त्र' जैसी टॉमहॉक मिसाइलें
Newsindialive Hindi October 15, 2025 04:42 PM

यूक्रेन से एक बार फिर दिल दहलाने वाली खबर सामने आई है। रूसी सेना ने रात भर यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर,खार्किव पर ग्लाइड बमों और ड्रोनों से हमला बोल दिया। इस बार निशाना बना एक अस्पताल,जिसमें हमले के वक़्त50से ज़्यादा मरीज़ मौजूद थे। इस हमले में7लोग घायल हो गए।लेकिन कहानी में एक बहुत बड़ा मोड़ है। एक तरफ जहाँ रूस के हमले तेज़ हो रहे हैं,वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन को यूरोप से मिलने वाली सैन्य मदद में भारी गिरावट आई है। इस मुश्किल घड़ी में,यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की अब अपना सबसे बड़ा दांव खेलने जा रहे हैं-वे सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से वो'गेम चेंजर'मिसाइलें मांगने की तैयारी में हैं,जो अब तक अमेरिका देने से डरता रहा है।रूस का क्रूर प्लान: सर्दियों से पहले अंधेरे में डुबोने की साज़िशयह हमला कोई अचानक नहीं हुआ। ज़ेलेंस्की ने बताया कि रूस का असली निशाना यूक्रेन के ऊर्जा संयंत्र हैं। यह रूस की उसी पुरानी और क्रूर रणनीति का हिस्सा है,जिसके तहत वह सर्दियों से ठीक पहले यूक्रेन के पावर ग्रिड को तबाह करना चाहता है,ताकि कड़ाके की ठंड में लोगों को बिना बिजली,पानी और हीटिंग के छोड़ दिया जाए।यूक्रेनी राष्ट्रपति ने दुनिया से एक बार फिर गुहार लगाई है कि उन्हें और ज़्यादा एयर डिफेंस सिस्टम दिए जाएं ताकि वे अपने लोगों को इन हमलों से बचा सकें।जब यूक्रेन को है सबसे ज़्यादा ज़रूरत,तब यूरोप ने फेरा मुँहलेकिन ठीक उसी समय,जब यूक्रेन को मदद की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है,एक बेहद बुरी खबर सामने आई है। जर्मनी के कील इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक,पिछले दो महीनों में यूक्रेन को यूरोप से मिलने वाली सैन्य मदद में43%की भारी गिरावटआई है।ज़ेलेंस्की का आखिरी दांव: ट्रंप और'टॉमहॉक'मिसाइलेंयूरोप से मिलती मदद में कमी के बीच,ज़ेलेंस्की अब अपनी सारी उम्मीदें अमेरिका पर टिका रहे हैं। वे जल्द ही वाशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं,और इस बार उनकी मांग छोटी-मोटी नहीं है। वे ट्रंप सेटॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलेंमांग सकते हैं।यह कोई आम मिसाइल नहीं है:लंबी दूरी:यह यूक्रेन के शस्त्रागार में अब तक की सबसे लंबी दूरी की मिसाइल होगी।मॉस्को तक मार:यह मिसाइल इतनी सटीक है कि कीव से बैठे-बैठेरूस के दिल,यानी मॉस्को तक,निशाना लगा सकती है।पकड़ में नहीं आती:यह हवा में नीचे-नीचे उड़कर रडार को चकमा दे सकती है,जिससे इसे रोकना लगभग नामुमकिन है।पहले वाशिंगटन इस तरह के हथियार देने से बचता रहा है,क्योंकि उसे डर था कि इससे युद्ध और भड़क सकता है और अमेरिका-रूस आमने-सामने आ सकते हैं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि ट्रंप भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन से नाराज़ हैं और शायद वे पुतिन को बातचीत की मेज़ पर लाने के लिए यह कड़ा कदम उठा सकते हैं।एक और शर्मनाक घटना:UNकी मदद पर भी हमलाइस बीच,रूस की बर्बरता का एक और उदाहरण देखने को मिला,जब उसने दक्षिणी यूक्रेन में मदद पहुँचा रहे संयुक्त राष्ट्र (UN)के काफिले पर ड्रोन से हमला कर दिया। इन ट्रकों पर साफ़-साफ़UNका निशान बना हुआ था,इसके बावजूद दो ट्रकों को जला दिया गया।UNने इसे एकयुद्ध अपराधकरार दिया है।
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