वैसे तो देशभर में दिवाली आने वाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, लेकिन अपने अनोखे दस्तूर के चलते छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सेमरा (सी) गांव के लोगों ने मंगलवार को ही दिवाली का त्योहार मना लिया है. हफ्ते भर पहले दिवाली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं. जिसे मौजूदा पीढ़ी आगे बढ़ा रही है. गांव में हफ्तेभर पहले त्योहार मनाने का तरीका इसकी पहचान बन चुका है. वहीं, ऐसे कहा जाता है कि ऐसे नहीं करने पर कोई ना कोई अनहोनी जरूरी होती है.
धमतरी जिले से सेमरा (सी) गांव करीब 30 किलोमीटर दूर हैं. यहां हर साल एक हफ्ते पहले दिवाली मनाई जाती है. इस बार भी मंगलवार यानी 14 अक्तूबर को बड़ी ही धूमधाम से त्योहार मनाया गया. गांव वालों ने मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद अपने घरों में दीपक जलाया और फिर जमकर पटाखे फोड़े. यह अनोखा दस्तूर सदियों से चला आ रहा है. गांव के देवता को खुश करने के लिए लोग एक हफ्ते पहले इस दिवाली मनाते हैं.
एक हफ्ते पहले मनाए जाते त्योहारगांव में सिर्फ दिवाली ही नहीं बल्कि सभी प्रमुख त्योहार जैसे होली, पोला और हरेली त्योहार एक हफ्ते पहले मनाया जाता है. गांव में सिरदार देव का मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां पुरुष पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन महिलाओं को मंदिर के पास जाने की अनुमति नहीं है. यह परंपरा कब और क्यों शुरू हुई, इसका सटीक कारण की जानकारी किसी के पास नहीं है. गांव के लोग बताते हैं कि बहुत समय पहले एक बुजुर्ग राजा सिरदार इस क्षेत्र में आकर बसे थे.
जानें क्या है कहानीवे चमत्कारी शक्ति वाले और प्रजा-हितैषी राजा थे. एक दिन वह शिकार पर निकले और दुर्भाग्यवश खुद ही शिकार हो गए. इस बीच बैग जनजाति के एक व्यक्ति को सपना आया कि राजा का शव जंगल में पड़ा हुआ है. शुरुआत में किसी को भी उसकी बात का विश्वास नहीं हुआ, लेकिन बाद में गांव के मुखिया को भी वही सपना आया. इसके बाद जब गांव वाले जंगल में पहुंचे, तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं. उन्होंने जंगल में राजा का शव देखा.
बाद में उन्होंने राजा का अंतिम संस्कार किया और उसकी स्थान पर ‘सिरदार देव’ नाम से मंदिर स्थापित कर दिया. ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद राजा सिरदार ने गांव वालों के सपने में आकर उन्हें कहा ‘गांव की सुख-शांति के लिए सभी प्रमुख त्योहार देशभर से एक सप्ताह पहले मनाओ’. इस दौर से गांव वालों ने एक हफ्ते पहले त्योहार मनाना शुरु कर दिया. ऐसे कहा जाता है कि ऐसे नहीं करने पर गांव में अनहोनी होना तय है.
(रिपोर्ट- सूरज साहू/धमतरी)