राजस्थान के जैसलमेर में मंगलवार को हुए दर्दनाक बस हादसे ने सभी को झकझोर दिया है. हादसे में 20 यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जबकि 15 लोग अब भी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं. हादसे के वक्त कुछ यात्री किसी तरह बस से बाहर निकल पाए, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि बस के मुख्य गेट के पास लपटें उठने लगीं और दरवाजा लॉक हो गया. लगभग 35 यात्री भीतर ही फंस गए. घायलों का कहना है कि बस में कई तकनीकी खामियां थीं, अगर सुरक्षा मानकों के अनुसार बस तैयार की गई होती, तो शायद इतनी बड़ी त्रासदी टल सकती थी.
मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे बस जैसलमेर से जोधपुर के लिए रवाना हुई थी. लगभग साढ़े तीन बजे हाईवे पर अचानक बस से धुआं उठने लगा. कुछ ही देर में आग की लपटें बस को पूरी तरह घेर चुकी थीं. यात्री चीख-पुकार करते रहे, जबकि ड्राइवर ने किसी तरह बस रोकने की कोशिश की. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग इतनी भयानक थी कि लोग पास जाने से डर रहे थे.
….तो बच जाती यात्रियों की जानहादसे के बाद बस की कुछ तकनीक खामियां उजागर हुई हैं. बस में यात्रियों को बाहर निकलने के लिए इमरजेंसी गेट नहीं था. चूंकि मेन गेट आग की लपटों से घिर गया था और दरवाजा लॉक हो गया था. इस वजह से यात्री अंदर ही फंसे रहे. जब धुआं फैला तो कोई वेंटिलेशन सिस्टम नहीं था. अगर बस के अंदर फायर सिस्टम था तो क्यों काम नहीं किया, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं.
AC बसों में क्या होने चाहिए सुरक्षा के उपाय?जिस बस में आग लगी थी, वह बस केके ट्रैवल्स की थी. इसे 14 दिन पहले ही खरीदा गया था. एक अक्टूबर को रजिस्ट्रेशन हुआ, 9 को बस का परमीट मिला और 14 को ये हादसा हो गया. इस हादसे में घायलों को जोधपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.