कौन थे लच्छू महाराज? जानें बनारस के इस तबला वादक की अनकही कहानी
Stressbuster Hindi October 16, 2025 03:42 AM
लच्छू महाराज: भारतीय संगीत के सितारे



मुंबई, 15 अक्टूबर। भारतीय संगीत के क्षेत्र में पंडित लच्छू महाराज का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। वे एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई।


लच्छू महाराज सिर्फ एक अद्भुत तबला वादक नहीं थे, बल्कि उनका एक और पहलू था जो कम ही लोगों को ज्ञात है। उनका संबंध मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री से भी था। उन्होंने फिल्मों में तबला बजाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई, लेकिन वे खुद को कभी सिर्फ एक फिल्म कलाकार नहीं मानते थे। उनके लिए संगीत एक गहरी भावना थी, जिसे वे पूरी तरह से जीते थे।


लच्छू महाराज का जन्म 16 अक्टूबर 1944 को वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनका असली नाम लक्ष्मी नारायण सिंह था। उनके पिता का नाम वासुदेव महाराज था और वे 12 भाई-बहनों में चौथे थे। बचपन से ही उन्हें संगीत में गहरी रुचि थी।


उन्होंने तबला वादन की शिक्षा अपने चाचा पंडित बिंदादीन महाराज से ली, जो खुद एक कुशल संगीतज्ञ थे। उनके गुरु के सख्त प्रशिक्षण ने उन्हें तबला वादन में निपुण बना दिया। इसके साथ ही, उन्होंने पखवाज और हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की भी गहरी समझ विकसित की। उनकी मेहनत के कारण वे जल्दी ही बनारस घराने के प्रमुख तबला वादक बन गए।


मुंबई आने के बाद, लच्छू महाराज ने अपने संगीत को फिल्मों में भी प्रस्तुत किया। उनका फिल्मी सफर 1949 में 'महल' फिल्म से शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने 'मुगल-ए-आजम', 'छोटी-छोटी बातें', और 'पाकीजा' जैसी कई फिल्मों में तबला वादन किया। उनकी थाप ने इन फिल्मों की धुनों में जान डाल दी। हालांकि, उन्होंने कभी खुद को सिर्फ एक फिल्म कलाकार नहीं माना। उनके लिए संगीत आत्मा की आवाज थी।


उन्होंने कई बड़े संगीत समारोहों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1972 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार के लिए नामित किया गया, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। उनका मानना था कि श्रोताओं का प्यार ही सबसे बड़ा पुरस्कार है।


लच्छू महाराज का जीवन केवल संगीत तक सीमित नहीं था। उनका परिवार भी कला से जुड़ा था। उनकी बहन निर्मला देवी, बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता गोविंदा की मां थीं। उन्होंने फ्रांस की टीना से विवाह किया और उनकी एक बेटी नारायणी है।


27 जुलाई 2016 को उनका निधन हार्ट अटैक के कारण हुआ। उनका सफर मुंबई के फिल्मी पर्दे से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने अपनी कला से संगीत प्रेमियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है।


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