2 महीने तक SHO समेत 7 ने किया गैंगरेप, पुलिस ने केस पलटकर निर्दोषों को फंसाया… 23 साल की लड़ाई के बाद 7 दरिंदों को 20 साल की कैद
Samachar Nama Hindi October 17, 2025 01:42 AM

बाप, बेटा, पुलिस वाले... सबने उसे नोचा, वो चिल्लाई, लेकिन किसी को रहम नहीं आया। हैवानों ने उसे बेहोश कर दिया और फिर उसके साथ रेप किया। यह सिर्फ़ एक दिन नहीं, बल्कि दो महीने तक चलता रहा। फिर, हैवानों ने लड़की को सड़क पर फेंक दिया। जब पीड़िता और उसका परिवार इंसाफ़ की उम्मीद में पुलिस स्टेशन गए, तो वहाँ भी उन्हें परेशान किया गया। पुलिस ने पूरा केस पलट दिया और बेगुनाह गाँव वालों को फँसा दिया। लेकिन, पीड़िता अपनी बात पर अड़ी रही। 23 साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद उसने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। अब, एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट I) (अंजू राजपूत) ने सातों आरोपियों को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है। 2002 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के खैर में हुए इस गैंगरेप ने सबको हिलाकर रख दिया था।

यह घटना 30 अक्टूबर, 2002 की सुबह की है, जब खैर इलाके के एक गाँव में अनुसूचित जाति की 13 साल की लड़की खेतों से लौट रही थी। रामेश्वर, प्रकाश और साहब सिंह नाम के तीन गांववालों ने उसे किडनैप कर लिया। उसे BSP नेता राकेश मौर्य की गाड़ी में बिठाया गया। गाड़ी में रिटायर्ड SHO रामलाल वर्मा भी मौजूद थे। पीड़िता को पहले एक गोदाम में बंद कर दिया गया और कई दिनों तक बेहोश रखा गया, फिर उसे ड्रग्स दिए गए और बार-बार बेरहमी से मारा गया।

गैंगरेप के बाद, उसे हमीदपुर गांव के पास फेंक दिया गया।

गैंगरेप में सात लोग शामिल पाए गए: रामेश्वर, प्रकाश, खेमचंद्र, जयप्रकाश, रिटायर्ड SHO रामलाल वर्मा, उनका बेटा बॉबी और खैर थाने के उस समय के SHO पुत्तूलाल प्रभाकर, जो बाद में इस केस के पहले जांच अधिकारी बने। बाद में पीड़िता को अनुशिया गांव में जयप्रकाश के घर ले जाया गया, जहां टॉर्चर जारी रहा। दो महीने बाद, दिसंबर 2002 में, आरोपियों ने लड़की को टप्पल थाना इलाके के हमीदपुर गांव के पास छोड़ दिया, जहां गांववालों ने उसकी मदद की।

SHO ने बेकसूर गांववालों को फंसाया
इसके बाद, पीड़िता के पिता ने खैर थाने में किडनैपिंग और रेप का केस दर्ज कराया। लेकिन, उस समय के SHO प्रभाकर ने शुरुआती जांच से आरोपियों के नाम हटा दिए और बेगुनाह गांव के बोना और पप्पू उर्फ विजेंद्र को झूठा फंसा दिया। इंसाफ के लिए लड़ते हुए पीड़ित परिवार ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 17 फरवरी 2003 को हाई कोर्ट के आदेश पर पीड़ित का बयान दर्ज किया गया।

तीन स्टेज में पूरी हुई जांच
इस खुलासे के बाद यह मामला राजनीतिक रूप से सेंसिटिव हो गया, क्योंकि इसमें BSP नेता राकेश मौर्य का नाम सामने आया। 2002 से 2007 तक BSP के राज में कोई कार्रवाई नहीं हुई और केस वापस लेने की कोशिशें होती रहीं। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद जांच CBI को सौंपी गई, जिसने तीन स्टेज में जांच पूरी कर सात आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

अब 15 अक्टूबर 2025 को ADJ फास्ट ट्रैक कोर्ट I (अंजू राजपूत) ने उन्हें गैंग रेप के तहत दोषी ठहराते हुए 20 साल की सख्त कैद और 50-60 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। कोर्ट ने आदेश दिया कि जुर्माने की रकम का 75% पीड़ित को दिया जाए।

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