नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के स्कूल-कॉलेजों समेत शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि जैसे मेलों या अन्य आयोजनों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरी तरह रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की बेंच ने कहा, शैक्षणिक संस्थान सिर्फ शिक्षा प्रदान करने के लिए होते हैं और इन संस्थानों के भवन, उनकी जमीन या खेल के मैदान को किसी व्यावसायिक गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को निदेर्शित किया है कि इस संबंध में स्पष्ट सर्कुलर जारी किया जाए।
यह जनहित याचिका यूपी के हमीरपुर स्थित एक कॉलेज में व्यवसायिक मेले के आयोजन को लेकर दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता गिरजा शंकर ने स्कूल कॉलेजों में इस प्रकार के आयोजनों पर रोक लगाने की मांग उठाई थी, इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है। हाईकोर्ट बेंच ने कहा है कि शैक्षणिक संस्थानों के साथ उनके खेल के मैदान की अहमियत को भी कम नहीं किया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि शैक्षणिक संस्थानों के बुनियादी ढांचे का प्रयोग सिर्फ शैक्षणिक गतिविधियों के लिए ही होना चाहिए। कोर्ट ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में बताया कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो प्राइमरी, सेकेंडरी या हायर एजुकेशन देने वाले शिक्षण संस्थानों की प्रॉपर्टी के व्यावसायिक इस्तेमाल की अनुमति देता हो।
बेंच ने आगे कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की ढांचागत सुविधाओं का उपयोग छात्र छात्राओं के खेल आयोजनों, सांस्कृतिक गतिविधियों, वाद विवाद प्रतियोगिताओं आदि के लिए होना चाहिए ना कि किसी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि के लिए। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि वो इस संबंध में जारी सर्कुलर में जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन और श्रेणियों के अंतर्गत आने वाले शैक्षणिक संस्थानों को कोर्ट निर्देशों के मुताबिक इस आदेश की कॉपी मिलने की तारीख से एक महीने के अंदर इस पर अमल करें।
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