हरियाणा के हिसार में देश का पहला आद्य एंव अष्ट महालक्ष्मी का मंदिर बन रहा है. इस मंदिर में विराजमान होने वाली सभी प्रतिमाओं को शुद्ध चांदी से तैयार किया जाएगा. पिछले 4 साल से इस मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. ये देश का ऐसा पहला महालक्ष्मी मंदिर होगा, जिसके अंदर आद्य महालक्ष्मी के साथ माता लक्ष्मी के 8 रूपों को विराजमान किया जाएगा और हर एक रूप को चांदी से बनाया जाएगा.
ये मंदिर हिसार के अग्रोहा शक्ति पीठ पर तैयार किया जा रहा है, जो महाराजा अग्रसेन की नगरी है, जो अपने अंदर 5 हजार साल पुराना इतिहास समेटे हुए है. इस मंदिर के निर्माण कार्य में करीब 200 करोड़ की लागत लगाई जा रही है, जिसे करीब 10 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है. ये मंदिर 108-108 फीट ऊंचा, लंबा और चौड़ा है. मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी गुजरात के आर्किटेक्ट सीवी सोमपुरा और आशीष सोमपुरा को सौंपी गई हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश के राम मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी. अब उन्हें अष्ट महालक्ष्मी मंदिर की जिम्मेदारी मिली है.
मंदिर में होगा 75 फीट का एक बड़ा हॉलमंदिर की विशेषता है कि इसमें कुल चार मुख्य द्वार बनाए जा रहे हैं और पूरी संरचना में सरिए (लोहे की छड़ों) का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. मंदिर का आकार बहुत बड़ा होगा. इसकी ऊंचाई, लंबाई और चौड़ाई तीनों ही 108 फीट रखी गई हैं, जो हिंदू धर्म में शुभ मानी जाने वाली संख्या है. मंदिर के केंद्र में लगभग 75 फीट का एक बड़ा हॉल बनाया जा रहा है, जिसकी सबसे खास बात यह है कि उसमें कोई भी पिलर (स्तंभ) नहीं होगा, यानी पूरा हॉल खुले क्षेत्र के रूप में निर्मित होगा.
108 किलो चांदी से बनी होगी प्रतिमामंदिर के गर्भगृह में माता आद्य लक्ष्मी की मुख्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जो 108 किलो चांदी से बनी होगी. इतना ही नहीं, माता के लिए जो सिंहासन बनाया जा रहा है, उसका वज़न भी 108 किलो होगा, जिससे मंदिर का हर प्रमुख तत्व 108 की पवित्र संख्या से जुड़ा रहेगा. निर्माण कार्य में राजस्थान के प्रसिद्ध बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो अपनी मजबूती और सुंदरता के लिए जाने जाते हैं. इस अनोखी शिल्पकला और पारंपरिक वास्तुकला का संगम यह मंदिर आने वाले समय में श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आकर्षण का एक मुख्य केंद्र बनेगा.
60 प्रतिशत पूरा हो चुका निर्माण कार्यमंदिर का निर्माण कार्य 60 प्रतिशत पूरा हो चुका है. सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग के मुताबिक, अग्रवाल समाज की आराध्य कुलदेवी माता आद्य महालक्ष्मी मानी जाती हैं. मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में महाराजा अग्रसेन को अग्रोहा नगरी में माता आद्य महालक्ष्मी ने साक्षात दर्शन दिए थे. माता ने प्रसन्न होकर महाराजा अग्रसेन को तीन बार वरदान प्रदान दिए, जिनमें समृद्धि, सौभाग्य और समाज के कल्याण का आशीर्वाद शामिल था. इसी परंपरा के सम्मान में अग्रवाल समाज ही नहीं, बल्कि देशभर में दीपावली के पर्व पर माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना की जाती है, ताकि घर-परिवार में सुख, शांति और वैभव बना रहे.