शनिवार वाडा में नमाज को लेकर विवाद
पुणे का शनिवार वाडा हाल ही में एक विवाद के कारण सुर्खियों में आया है। यहां कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा नमाज अदा करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राज्यसभा सांसद मेधा कुलकर्णी ने इस विरोध में भाग लिया और स्थल का शुद्धिकरण करने के लिए गौमूत्र का छिड़काव किया। इस विरोध में कई हिंदू संगठनों ने भी भाग लिया। शनिवार वाडा एक ऐतिहासिक किला है, जिसका मराठा साम्राज्य में महत्वपूर्ण स्थान है।
मेधा कुलकर्णी ने नमाज के विरोध में कहा कि हिंदू समुदाय ने शिव वंदना की, जिससे इस स्थल की पवित्रता बनी रही। उन्होंने कहा कि शनिवार वाडा मराठा साम्राज्य के गौरव का प्रतीक है और यहां नमाज अदा करना निंदनीय है। उन्होंने पुणे के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
कुलकर्णी ने कहा कि यह स्थल हमारे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां से मराठा साम्राज्य का विस्तार हुआ। उन्होंने हिंदुओं से एकजुट होने की अपील की ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
शनिवार वाडा का ऐतिहासिक महत्वशनिवार वाडा का निर्माण पेशवा बाजीराव प्रथम ने 1732 में कराया था। इसका नाम शनिवार के दिन शिलान्यास के कारण पड़ा। यह एक विशाल किला था, जिसमें 5 मुख्य दरवाजे और 9 टावर थे। 1828 में यहां आग लगने से इसका अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया। आज केवल पत्थरों की दीवारें और गेट ही बचे हैं। यह 13 मंजिला महल था।
अब यह एक पर्यटन स्थल है और भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। यहां हर शाम लाइट एंड साउंड शो आयोजित होता है। यह वाडा पेशवा शासन का राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र था, जहां से मराठा साम्राज्य के प्रशासन और युद्ध नीति के निर्णय लिए जाते थे।
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1818 में अंग्रेजों ने इस पर नियंत्रण कर लिया और 1828 में यहां भीषण आग लगी।
नारायणराव की हत्या का रहस्य1773 में पेशवा नारायणराव की हत्या कर दी गई थी, जब वह केवल 17 वर्ष के थे। इस हत्या की साजिश में उनके काका रघुनाथराव और काकी आनंदीबाई शामिल थे। नारायणराव की हत्या के समय रघुनाथराव गद्दी के दावेदार थे। कहा जाता है कि रघुनाथराव ने नारायणराव को कैद करने का आदेश दिया था, जिसे आनंदीबाई ने बदल दिया। इस हत्या के समय नारायणराव चिल्ला रहे थे, और उनके साथ उनके सेवक भी मारे गए।
इस हत्याकांड के बारे में कहा जाता है कि आज भी रात में वहां काका, मला वाचवा की आवाजें सुनाई देती हैं, जिससे इसे भूतिया स्थान माना जाता है। रात में यहां लोगों का प्रवेश वर्जित है।