गोवर्धन पूजा आज, जानें क्या रहेगा पूजन का शुभ मुहूर्त और उपासना विधि!
Himachali Khabar Hindi October 22, 2025 05:42 PM


नई दिल्ली। Govardhan Puja 2025 Timings: 22 अक्टूबर यानी आज गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जा रहा है. गोवर्धन पूजा के दिन गायों की आराधना की जाती है, जिन्हें देवी लक्ष्मी का साक्षात स्वरूप माना गया है. साथ ही, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की विशेष पूजा की जाती है.

यह पर्व अन्नकूट उत्सव के नाम से भी प्रसिद्ध है. इस पर्व को उत्तर भारत में खासकर ब्रज भूमि मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, गोकुल, बरसाना में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है.

पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र देव के प्रकोप से सुरक्षित रखा था. इस घटना के बाद भगवान इंद्र को अपने अहंकार का बोध हुआ. तभी से श्रद्धालु इस दिन श्रीकृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाते हैं, जिसमें गेहूं, चावल, बेसन और विभिन्न पत्तेदार सब्जियों से बने व्यंजन शामिल होते हैं.

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गोवर्धन पूजा की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 54 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 22 अक्टूबर यानी आज रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा.

गोवर्धन पूजन के लिए ये मुहूर्त रहेंगे

– एक मुहूर्त सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.

– दूसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.

– तीसरा मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से लेकर 6 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.

गोवर्धन पूजा की उपासना विधि (Govardhan Puja 2025 Pujan Vidhi)

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह उठकर पहले हल्की मालिश करके नहाना चाहिए. उसके बाद घर के मुख्य दरवाजे या आंगन में गाय के गोबर से छोटा सा गोवर्धन पर्वत बनाएं. इसके आस-पास पेड़-पौधे, छोटे-छोटे ग्वाल और बैलों की आकृतियां भी सजाई जा सकती हैं. गोवर्धन पर्वत के बीच में भगवान कृष्ण की छोटी मूर्ति रखें और उनके सामने अन्नकूट का भोग लगाएं. पूजा के बाद व्रत की कहानी सुनें, प्रसाद बांटें और फिर सभी मिलकर भोजन करें.

गोवर्धन पूजा कथा (Govardhan Puja Katha)

गोवर्धन पूजा करने के पीछे धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण इंद्र का अभिमान चूर करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गोकुल वासियों की इंद्र से रक्षा की थी. माना जाता है कि इसके बाद भगवान कृष्ण ने स्वंय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का आदेश दिया दिया था. तभी से गोवर्धन पूजा की प्रथा आज भी कायम है और हर साल गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का त्योहार मनाया जाता है.

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