दुनिया के साथ साथ भारत में गोल्ड की कीमतों में बड़ी तेजी देखने को मिली है. कुछ दिनों की गिरावट को भुला भी दिया जाए तो मौजूदा साल में सोने के दाम में 60 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. ये इजाफा सिर्फ यूं ही नहीं हुआ है. भारत में कोई है जिसने इस साल सोने की ईंटों से अपने खजाने को भर लिया है. खास बात तो ये है कि सितंबर के महीने में उसने हर रोज करीब 7 किलो सोना खरीदा. इसका मतलब है कि इस महीने में करीब 200 किलो गोल्ड की शॉपिंग कर डाली. वो भी ऐसे समय में जब सोने की कीमतें आसमान छू रही थीं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ऐसा कौन है, जो भारत में भारी भरकम गोल्ड की खरीदारी कर रहा है. आइए रिपोर्ट में आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं.
आरबीआई का कुल गोल्ड रिजर्वइतनी बड़ी संख्या में गोल्ड खरीदने वाला कोई आम शख्स तो क्या इंडीविजुअल अरबपति भी नहीं होगा. वास्तव ये कोई इंसान सा इंडीविजुअल नहीं बल्कि संस्था है. इस संस्था का नाम है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया. देश के सेंट्रल बैंक ने सितंबर के महीने में काफी मोटी खरीदारी कर डाली है. जिसके बाद आरबीआई का गोल्ड रिजर्व 880 टन के लेवल को पार कर गया है. यहां तक इस मामले में जापान तक को पीछे छोड़ दिया है. आंकड़ों को देखें तो भारतीय रिजर्व बैंक का गोल्ड रिजर्व वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में 880 टन के लेवल को पार कर गया. इस भंडार में केंद्रीय बैंक ने सितंबर के अंतिम सप्ताह में 0.2 टन सोना जोड़ा.
6 महीनों में 600 टन खरीदाभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 26 सितंबर, 2025 तक सोने का कुल मूल्य 95 अरब डॉलर था. बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच, हाल के महीनों में सुरक्षित निवेश माने जाने वाले सोने की मांग में वृद्धि हुई है. सितंबर में समाप्त छमाही में, रिजर्व बैंक ने 0.6 टन (600 किलोग्राम) सोना खरीदा. रिजर्व बैंक के नवीनतम बुलेटिन के अनुसार, सितंबर और जून में क्रमशः कुल 0.2 टन (200 किलोग्राम) और 0.4 टन (400 किलोग्राम) सोना खरीदा गया. रिजर्व बैंक के पास कुल स्वर्ण भंडार सितंबर के अंत तक बढ़कर 880.18 टन हो गया, जो वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक 879.58 टन था. वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, रिजर्व बैंक ने 54.13 टन सोना जोड़ा था.
क्यों बढ़ी डिमांड?बुलेटिन में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतों में वृद्धि हुई है, जिसने सुरक्षित निवेश के लिए खरीदारी को प्रोत्साहित किया और केंद्रीय बैंकों और निवेशकों द्वारा वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में सोने की निरंतर मांग ने घरेलू कीमतों में वृद्धि को बढ़ावा दिया. बुलेटिन में यह भी कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर, केंद्रीय बैंकों ने आधिकारिक भंडार में 166 टन सोना जोड़ा, जिससे इसकी मांग में और वृद्धि हुई. तीसरी तिमाही में सोने की कीमतें ऊंची रहीं, सितंबर में सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गईं.