Rajasthan bypoll : अंता का किला बचाना चुनौती ,बेटे दुष्यंत मैदान में, क्या मां वसुंधरा करेंगी मास्टरस्ट्रोक?
Newsindialive Hindi October 25, 2025 09:42 PM

News India Live, Digital Desk : राजस्थान की राजनीति में इन दिनों सारा ध्यान एक विधानसभा सीट पर आकर टिक गया है—अंता (Anta)। यहां होने वाला उपचुनाव सिर्फ एक विधायक चुनने का चुनाव नहीं है, बल्कि यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) और खासकर पूर्व मुख्यमंत्रीवसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के परिवार के लिए'साख का सवाल' बन गया है। इस सीट को किसी भी कीमत पर जीतने के लिए BJP ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और campaigning की कमान खुद वसुंधरा राजे के बेटे और सांसददुष्यंत सिंह (Dushyant Singh) ने संभाल रखी है।बेटे दुष्यंत मैदान में, पर सबकी नजरें मां वसुंधरा पर!अंता विधानसभा सीट झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसे वसुंधरा राजे और उनके परिवार का गढ़ माना जाता है। यहीं से दुष्यंत सिंह सांसद हैं। इसलिए इस उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई है। वह पिछले कई दिनों से अंता में डेरा डाले हुए हैं। गांव-गांव, ढाणी-ढाणी जाकर लोगों से मिल रहे हैं और पार्टी के उम्मीदवार के लिए माहौल बना रहे हैं।लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे खुद प्रचार करने आएंगी? सियासी गलियारों में चर्चा गर्म है कि दुष्यंत सिंह ने भले ही मोर्चा संभाल रखा हो, लेकिन अपनी मां के बिना यह किला फतह करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। वसुंधरा राजे की एक रैली या एक दौरा भी यहां का पूरा सियासी समीकरण बदल सकता है।क्यों बन गई है यह सीट 'प्रेस्टीज इशू'?यह उपचुनाव BJP के लिए कई मायनों में अहम है:दुष्यंत सिंह का लिटमस टेस्ट: इस चुनाव को दुष्यंत सिंह के नेतृत्व की परीक्षा के तौर पर भी देखा जा रहा है। अगर वह अपनी मां की गैर-मौजूदगी में भी यह सीट निकाल ले जाते हैं, तो पार्टी में उनका कद और बढ़ेगा।सरकार के कामकाज पर मुहर: राज्य में BJP की सरकार है। इस उपचुनाव का नतीजा यह भी तय करेगा कि जनता सरकार के कामकाज से कितनी खुश है।BJP ने यहां सेकंवरलाल मीणा को अपना उम्मीदवार बनाया है। दुष्यंत सिंह और पूरी स्थानीय BJP इकाई दिन-रात एक करके यह सुनिश्चित करने में लगी है कि पार्टी का यह किला सुरक्षित रहे। अब देखना यह है कि क्या 'महारानी' वसुंधरा राजे अपने बेटे की मदद के लिए चुनावी मैदान में उतरती हैं, या दुष्यंत सिंह अकेले ही यह सियासी जंग जीत पाते हैं।