
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि सरकारी अधिकारियों ने इस वर्ष भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) पर अडाणी समूह में 33 हजार करोड़ रुपए के निवेश के लिए दबाव बनाया था। इस समय अडाणी समूह भारी कर्ज में दबा था और अमेरिका में जांच का सामना कर रहा था।
मामले में एलआईसी की सफाई : एलआईसी ने एक बयान में कहा कि उसके निवेश संबंधी फैसले बाहरी कारकों से प्रभावित होने का दावा झुठा निराधार और सच्चाई से कोसों दूर है। कंपनी के अनुसार, वित्तीय सेवा विभाग या किसी अन्य निकाय की निवेश निर्णयों में कोई भूमिका नहीं होती।
भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में, बुनियादी बातों और विस्तृत जांच-पड़ताल के आधार पर विभिन्न कंपनियों में निवेश के फैसले लिए हैं। भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में इसका निवेश मूल्य 2014 से 10 गुना बढ़कर 1.56 लाख करोड़ रुपए से 15.6 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो मजबूत फंड प्रबंधन को दर्शाता है।
क्या बोली कांग्रेस : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की असली लाभार्थी भारत की आम जनता नहीं बल्कि मोदी जी के परम मित्र हैं। क्या एक आम सेलरिड मिडिल क्लास व्यक्ति जो पाई-पाई जोड़कर एलआई का प्रिमियम भरता है, उसे ये भी मालूम है कि मोदी जी उसकी ये जमा-पूंजी अडानी को बेलआउट करने में लगा रहें हैं? क्या ये ब्रिच ऑफ ट्रस्ट नहीं है? लूट नहीं है?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मीडिया में हाल ही में कुछ परेशान करने वाले खुलासे सामने आए हैं कि किस तरह मोदानी जॉइंट वेंचर ने भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का दुरुपयोग किया। दस्तावेज बताते हैं कि भारतीय अधिकारियों ने मई 2025 में एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया, जिसके तहत LIC की लगभग 33,000 करोड़ रुपए की धनराशि को अडानी समूह की विभिन्न कंपनियों में निवेश किया गया।
उन्होंने कहा कि इस मेगा घोटाले की जांच केवल संसद की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा ही की जा सकती है। पहले कदम के तौर पर, संसद की लोक लेखा समिति (PAC) को यह जांच करनी चाहिए कि LIC को अडानी समूह में निवेश करने के लिए कैसे मजबूर किया गया।
LIC का किसमें कितना निवेश : एलआईसी के पास अडाणी समूह के मात्र 4 फीसदी (60,000 करोड़ रुपए) शेयर है। कंपनी के पास रिलायंस के 6.94 प्रतिशत (1.33 लाख करोड़ रुपए), आईटीसी लिमिटेड के 15.86 प्रतिशत (82,800 करोड़ रुपए), एचडीएफसी बैंक के 4.89 प्रतिशत (64,725 करोड़ रुपए) और एसबीआई के 9.59 प्रतिशत (79,361 करोड़ रुपए) शेयर हैं।
edited by : Nrapendra Gupta