प्रदीप कुमार का अदाकारी का सफर
मुंबई, 26 अक्टूबर। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर अभिनेता प्रदीप कुमार ने अपनी अदाकारी से लाखों दर्शकों का दिल जीता। उन्हें अक्सर बड़े पर्दे पर शाही राजाओं और राजकुमारों के रूप में देखा गया, लेकिन उनके असली जीवन का सफर काफी चुनौतीपूर्ण था।
प्रदीप कुमार का जन्म 19 जनवरी 1925 को कोलकाता में हुआ। बचपन से ही उन्हें फिल्में और अभिनय का गहरा शौक था। यही वजह थी कि उन्होंने मात्र 17 वर्ष की आयु में अभिनय की दुनिया में कदम रखा, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
उनकी फिल्मी यात्रा बंगाली सिनेमा से शुरू हुई। निर्देशक देवकी बोस ने उन्हें अपनी फिल्म 'अलकनंदा' (1947) में मुख्य भूमिका दी। हालांकि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं रही, लेकिन प्रदीप का अभिनय दर्शकों और निर्माताओं का ध्यान खींचने में सफल रहा।
बंगाली फिल्मों के बाद, प्रदीप कुमार ने हिंदी सिनेमा की ओर रुख किया। 1952 में उन्होंने 'आनंद मठ' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद 'अनारकली' (1953) और 'नागिन' (1954) जैसी फिल्मों ने उन्हें पहचान दिलाई।
प्रदीप कुमार ने मधुबाला और मीना कुमारी जैसी दिग्गज अभिनेत्रियों के साथ भी कई सफल फिल्में कीं। उनके साथ उन्होंने आठ और सात फिल्में कीं, जिनमें 'राज हठ', 'चित्रलेखा', और 'भीगी रात' शामिल हैं।
हालांकि उम्र के साथ उन्हें सहायक भूमिकाएं निभानी पड़ीं, लेकिन उन्होंने अमिताभ बच्चन और सनी देओल जैसे बड़े सितारों के साथ भी काम किया। प्रदीप कुमार की मेहनत और कला ने उन्हें दर्शकों के दिलों में एक खास स्थान दिलाया।
उन्हें उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिसमें 1999 में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार शामिल है। हालांकि, उनका निजी जीवन दुखों से भरा रहा। प्रदीप कुमार का निधन 27 अक्टूबर 2001 को कोलकाता में हुआ, जब वे 76 वर्ष के थे।