दिवाली पर कार्बाइड गन का खतरनाक प्रभाव

मध्य प्रदेश में कार्बाइड गन के कारण 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 30 की आंखों की रोशनी चली गई है।
जब देशभर में दिवाली का उत्सव मनाया जा रहा था, तब कार्बाइड गन के कारण लोग अस्पताल पहुंच रहे थे। इस खतरनाक उपकरण के कारण मध्य प्रदेश में कई बच्चों सहित 30 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। गंभीर चोटों के कारण 300 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। आइए जानते हैं कि कार्बाइड गन क्या होती है और इसके उपयोग पर रोक क्यों नहीं लग पाती।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कार्बाइड गन के उपयोग से अन्य राज्यों जैसे बिहार में भी लोग घायल हुए हैं। हालांकि, इसका सबसे गंभीर असर मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में देखा गया, जहां स्थानीय बाजारों में इन गनों की बिक्री धड़ल्ले से हो रही थी। मध्य प्रदेश सरकार ने 18 अक्टूबर को इस पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन इसके निर्माण और बिक्री पर रोक नहीं लगाई जा सकी, क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर बनाई जाती है।
पीड़ितों में से कई ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो देखकर कार्बाइड गन बनाई, लेकिन यह उनके सामने ही फट गई। कई लोगों ने इसे बाजार से खरीदकर इस्तेमाल किया, लेकिन यह उनके लिए खतरनाक साबित हुई।
कार्बाइड गन किसी औद्योगिक इकाई में नहीं बनती, बल्कि इसे स्थानीय स्तर पर देसी तरीके से तैयार किया जाता है। इसे लोहे के पाइप और प्लास्टिक के कुछ पाइपों को जोड़कर बनाया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग के कारण इसे कार्बाइड गन कहा जाता है। यह सस्ती होती है और बच्चों को आकर्षित करती है, इसलिए इस दिवाली पर इसकी बिक्री बढ़ गई।
सोशल मीडिया के माध्यम से यह गन काफी प्रसिद्ध हुई और इसे 150 से 200 रुपये में बेचा गया। थोड़े से पैसे के लालच में इसे बनाने वाले भी नहीं जानते थे कि यह बच्चों की आंखों की रोशनी छीन लेगी।
यह कार्बाइड गन खतरनाक होती है क्योंकि इसमें केमिकल का प्रयोग किया जाता है। प्लास्टिक के पाइप में कैल्शियम कार्बाइड डाला जाता है, और उस पर पानी की कुछ बूंदें डाली जाती हैं, जिससे एक गैस बनती है। लाइटर या माचिस की एक चिनगारी से धमाका होता है।
जब बच्चे गन के अंदर झांकते हैं, तब रिएक्शन के कारण अचानक धमाका होता है। इस धमाके में निकले प्लास्टिक के टुकड़े और केमिकल आंखों में घुस जाते हैं, जिससे गंभीर चोटें आती हैं।
कार्बाइड गन में पानी और कैल्शियम कार्बाइड के रिएक्शन से एसिटिलीन गैस बनती है, जो अत्यधिक ज्वलनशील होती है। जब बच्चे इसे चेहरे के करीब रखते हैं, तो विस्फोट में निकलने वाली गैस और गर्म कार्बाइड चेहरे और आंखों पर पड़ता है, जिससे रासायनिक जलन होती है।
पहले कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग फलों को पकाने में किया जाता था, लेकिन अब इसके अवैध उपयोग के कारण यह खतरनाक बन गई है। मध्य प्रदेश सरकार ने इस पर सख्ती शुरू कर दी है और जांच के आदेश दिए हैं कि प्रतिबंध के बावजूद यह बाजार में कैसे पहुंची।