सुप्रीम न्यायालय ने मंगलवार को Covid-19 के दौरान जान गंवाने वाले प्राइवेट डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को सरकारी बीमा योजना का फायदा देने के मुद्दे में सुनवाई की. न्यायालय ने बोला कि यदि न्यायपालिका डॉक्टरों का ध्यान नहीं रखेगी और उनके साथ खड़ी नहीं होगी, तो समाज हमें कभी माफ नहीं करेगा.

जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने बोला कि गवर्नमेंट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीमा कंपनियां वैध दावों का भुगतान करें. उन्होंने बोला कि यह मान लेना गलत है कि प्राइवेट चिकित्सक केवल प्रॉफिट के लिए काम करते हैं. न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित रख लिया है.
मामला प्रदीप अरोड़ा और अन्य लोगों की याचिका से जुड़ा है. इसमें बॉम्बे उच्च न्यायालय के 9 मार्च 2021 के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें बोला गया था कि प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक या स्टाफ को इंश्योरेंस का फायदा तभी मिलेगा जब गवर्नमेंट ने उनकी सेवाएं आधिकारिक रूप से मांगी हों.
SC बोला- गवर्नमेंट बताए और कौन सी योजनाएं हैं
सुप्रीम न्यायालय ने केंद्र गवर्नमेंट से बोला कि वह बताए कि पीएम बीमा योजना के अतिरिक्त क्या ऐसी और भी योजनाएं हैं. न्यायालय ने बोला कि वह एक नियम तय करेगी, जिसके आधार पर बीमा कंपनियां आगे ऐसे मामलों में निर्णय ले सकेंगी.
यह मुद्दा किरण भास्कर सुर्गडे की कहानी से जुड़ा है, जिन्होंने अपने पति को Covid-19 महामारी में खो दिया था. उनके पति ठाणे में एक निजी क्लीनिक चलाते थे. बीमा कंपनी ने उनका दावा यह कहकर खारिज कर दिया कि उनका क्लीनिक मान्यता प्राप्त कोविड हॉस्पिटल नहीं था.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKP) मार्च 2020 में प्रारम्भ किया गया था. इस योजना के अनुसार Covid-19 से ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के परिवार को 50 लाख रुपये का बीमा कवर दिया जाता है.