धारवाड़, 28 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . कर्नाटक उच्च न्यायालय के आज एक महत्वपूर्ण फैसले से राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार काे
तगड़ा झटका लगा है. उच्च न्यायालय की पीठ ने राज्य सरकार के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) संगठन को निशाना बनाकर कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने से पहले निजी संगठनों या संस्थाओं को पूर्व अनुमति लेनी होगी.
दरअसल, राज्य सरकार ने 18 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था कि निजी संगठनों को सरकारी संपत्तियों, स्कूलों, कॉलेजों, पार्कों, खेल के मैदानों और जल निकायों सहित सभी सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित करने के लिए संबंधित प्राधिकारी से पूर्व अनुमति लेनी होगी. सरकार के इस आदेश काे पुष्ठान सेवा संघ ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. संगठन के अनुसार, यह सरकारी आदेश आरएसएस की गतिविधियों को निशाना बनाकर राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित होकर जारी किया गया था. संगठन ने कहा कि यह संविधान के मौलिक अधिकारों, अर्थात् अनुच्छेद 19(1)(ए) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(सी) (संघ बनाने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है.
इस याचिका पर न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार काे सुनवाई की और सरकारी आदेश के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगा दी. साथ ही उच्च न्यायालय ने सरकार, गृह विभाग और हुबली पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किए हैं. पीठ ने अपनी प्रारंभिक राय में कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को सरकारी आदेश से नहीं छीना जा सकता. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संगठन बनाने का अधिकार नागरिकों के मौलिक अधिकार हैं.
सरकार के इस आदेश के अनुसार बिना अनुमति के 10 लोगों का इकट्ठा होना भी अपराध माना जाता था. सड़कों, पार्कों, मैदानों और झीलों तक पहुंच भी प्रतिबंधित थी. सरकार ने पुलिस अधिनियम 1963 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग किया. उच्च न्थायालय ने इस मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक स्थगित कर दी है. सरकार के वकीलों को 29 अक्टूबर तक अपनी आपत्तियां दाखिल करने को कहा गया है.
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(Udaipur Kiran) / राकेश महादेवप्पा